रात-भर सोचा किए और सुब्ह-दम अख़बार में  अपने हाथों अपने मरने की ख़बर देखा किए  - Akhbaar Shayari

रात-भर सोचा किए और सुब्ह-दम अख़बार में अपने हाथों अपने मरने की ख़बर देखा किए

Akhbaar Shayari