अख़बार में रोज़ाना वही शोर है यानी  अपने से ये हालात सँवर क्यूँ नहीं जाते  - Akhbaar Shayari

अख़बार में रोज़ाना वही शोर है यानी अपने से ये हालात सँवर क्यूँ नहीं जाते

Akhbaar Shayari