तेरे कूचे में जो आया है ग़ुलामों की तरह, अपनी  बस्ती का सिकंदर भी तो हो सकता है.

तेरे कूचे में जो आया है ग़ुलामों की तरह, अपनी बस्ती का सिकंदर भी तो हो सकता है.

Basti Shayari

आशा कभी मरती नहीं, निराशा कभी जन्म नहीं लेती, दोनों ही हमारे विचारों में होते है।

आशा कभी मरती नहीं, निराशा कभी जन्म नहीं लेती, दोनों ही हमारे विचारों में होते है।

तन के लिए जरूरी जैसे श्वास है, मन के लिए आशा और विश्वास है.

तन के लिए जरूरी जैसे श्वास है, मन के लिए आशा और विश्वास है.

दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।

दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।

वो हो जायेंगे खुश कुछ पतगें लूट कर ही,  ऐ हवा तु अपना रुख गरीबों की बस्ती तरफ ही रखना.

वो हो जायेंगे खुश कुछ पतगें लूट कर ही, ऐ हवा तु अपना रुख गरीबों की बस्ती तरफ ही रखना.

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जिसे वो शहर कहते हैं,  जहाँ लोग मिलते कम, झाँकते ज्यादा हैं.

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जिसे वो शहर कहते हैं, जहाँ लोग मिलते कम, झाँकते ज्यादा हैं.

तुम भी झूमो मस्ती में हम भी झूमे मस्ती में,  शोर है आज बस्ती में झूम रहे है सब मस्ती में.

तुम भी झूमो मस्ती में हम भी झूमे मस्ती में, शोर है आज बस्ती में झूम रहे है सब मस्ती में.

हादसों के जद आके क्या मुस्कुराना छोड़ देंगे  एक बस्ती बिखर गयी तो क्या बस्ती बसाना छोड़ देंगे.

हादसों के जद आके क्या मुस्कुराना छोड़ देंगे एक बस्ती बिखर गयी तो क्या बस्ती बसाना छोड़ देंगे.

  पत्थर सा दिल कहाँ से लाऊ,  कंक्रीट की बस्ती में निभ पाऊं.

पत्थर सा दिल कहाँ से लाऊ, कंक्रीट की बस्ती में निभ पाऊं.

खुदगर्जो की बस्ती में एहसान भी गुनाह है, जिसे तैरना सिखाओ वही डुबाने को तैयार रहता है.

खुदगर्जो की बस्ती में एहसान भी गुनाह है, जिसे तैरना सिखाओ वही डुबाने को तैयार रहता है.

 बस्ती जंगल सी लगे, मैँ जाऊँ किस ओर, घात लगाये राह मेँ, बैठे आदमखोर.

बस्ती जंगल सी लगे, मैँ जाऊँ किस ओर, घात लगाये राह मेँ, बैठे आदमखोर.

 इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा, जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है.

इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा, जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है.

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे, वो भी अलग हट गयी आधियों को इशारा करके.

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे, वो भी अलग हट गयी आधियों को इशारा करके.

हम तो रह के दिल्ली में ढूँडते हैं दिल्ली को पूछिए 'रविश' किस से क्या यही वो बस्ती है.

हम तो रह के दिल्ली में ढूँडते हैं दिल्ली को पूछिए 'रविश' किस से क्या यही वो बस्ती है.

इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा. जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है !

इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा. जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है !

बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़ ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था

बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़ ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था

मुझसे नहीं कटती अब ये उदास रातें, बेखुदी मे कल सूरज से कहूँगा मुझे साथ लेकर डूबे

मुझसे नहीं कटती अब ये उदास रातें, बेखुदी मे कल सूरज से कहूँगा मुझे साथ लेकर डूबे

शाम-ए-ग़म कुछ  उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो बेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो.

शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो बेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो.

 तुम्हारे बाद कुछ नहीं हुआ सिवा इसके के मेरी वक़्त से, खु़दा से, खु़द से बनती नहीं

तुम्हारे बाद कुछ नहीं हुआ सिवा इसके के मेरी वक़्त से, खु़दा से, खु़द से बनती नहीं