तेरे कूचे में जो आया है ग़ुलामों की तरह, अपनी  बस्ती का सिकंदर भी तो हो सकता है.  - Basti Shayari

तेरे कूचे में जो आया है ग़ुलामों की तरह, अपनी बस्ती का सिकंदर भी तो हो सकता है.

Basti Shayari