काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ, ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में। - Bahaar Shayari

काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ, ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में।

Bahaar Shayari