जिसकी कफस में आँख खुली हो मेरी तरह, उसके लिये चमन की खिजाँ क्या बहार क्या।
 - New Shayari

जिसकी कफस में आँख खुली हो मेरी तरह, उसके लिये चमन की खिजाँ क्या बहार क्या।

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