सीख रहा हूँ धीरे-धीरे इस दुनिया के रिवाज, जिससे मतलब निकल गया उसे दिल से निकाल दो।
 - New Shayari

सीख रहा हूँ धीरे-धीरे इस दुनिया के रिवाज, जिससे मतलब निकल गया उसे दिल से निकाल दो।

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