वो पहले सा कहीं मुझको कोई मंज़र नहीं लगता, यहाँ लोगों को देखो अब ख़ुदा का डर नहीं लगता।
 - New Shayari

वो पहले सा कहीं मुझको कोई मंज़र नहीं लगता, यहाँ लोगों को देखो अब ख़ुदा का डर नहीं लगता।

New Shayari