ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती, मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती, कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता, मुझे ही क्यूँ मोहब्बत नहीं मिलती।
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए, तू आज भी बेखबर है कल की तरह।
❣️मुश्किल भी तुम हो❣️, ❣️हल भी तुम हो❣️ ❣️होती है जो सीने में❣️, ❣️वो हलचल भी तुम हो❣️..!
राज़ खोल देते हैं नाजुक से इशारे अक्सर, कितनी खामोश मोहब्बत की जुबान होती है।
घर से निकलो तो पता जेब में रख कर निकलो, हादसे इंसान की पहचान तक मिटा देते है।
हवा से कह दो खुद को आज़मा के दिखाये, बहुत चिराग बुझाती है एक जला के दिखाये।
मिलने को तो हर शख्स एहतराम से मिला, पर जो मिला किसी न किसी काम से मिला।
सीख रहा हूँ धीरे-धीरे इस दुनिया के रिवाज, जिससे मतलब निकल गया उसे दिल से निकाल दो।
कुछ लोग मेरे शहर में खुशबू की तरह हैं, महसूस तो होते हैं पर दिखाई नहीं देते।
काँटे किसी के हक में किसी को गुलो-समर, क्या खूब एहतमाम-ए-गुलिस्ताँ है आजकल।
आप की खातिर अगर हम लूट भी लें आसमाँ, क्या मिलेगा चंद चमकीले से शीशे तोड़ के।
आईना फैला रहा है खुद-फरेबी का ये मर्ज, हर किसी से कह रहा है आप सा कोई नहीं।
किसी ने तो दे रखा होगा उनको भी मक़ाम, वर्ना ये बेघर लोग यूँ मुस्कुराते न फिरते।
शाख से तोड़े गए फूल ने हँस कर ये कहा, अच्छा होना भी बुरी बात है इस दुनिया में।
कुछ सोचूं तो तेरा ख्याल आ जाता है, कुछ बोलूं तो तेरा नाम आ जाता है, कब तलक बयाँ करूँ दिल की बात, हर सांस में अब तेरा एहसास आ जाता है।
मेरी आँखों में यही हद से ज्यादा बेशुमार है, तेरा ही इश्क़, तेरा ही दर्द, तेरा ही इंतज़ार है।
हम आपके प्यार में कुछ ऐसा कर जायेंगे, बन कर खुशबू इन हवाओं में बिखर जायेंगे, भुलाना अगर चाहो तो साँसों को रोक लेना, वरना साँस भी लोगे तो दिल में उतर जायेंगे।
कभी क़रीब तो कभी दूर हो के रोते हैं, मोहब्बतों के भी मौसम अजीब होते हैं।