कभी क़रीब तो कभी दूर हो के रोते हैं, मोहब्बतों के भी मौसम अजीब होते हैं।
 - New Shayari

कभी क़रीब तो कभी दूर हो के रोते हैं, मोहब्बतों के भी मौसम अजीब होते हैं।

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