उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम, उसके ग़मो को हंसीं से सजा रहे थे हम, जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ जिसकी लो को हवा से बचा रहे थे हम।
 - New Shayari

उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम, उसके ग़मो को हंसीं से सजा रहे थे हम, जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ जिसकी लो को हवा से बचा रहे थे हम।

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