फिर किसी मोड़ पर मिल जाऊँ तो मुहँ फेर लेना, पुराना इश्क़ है, फिर उभरा तो कयामत होगी।
 - New Shayari

फिर किसी मोड़ पर मिल जाऊँ तो मुहँ फेर लेना, पुराना इश्क़ है, फिर उभरा तो कयामत होगी।

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