ना जाने मोहब्बत में कितने अफसाने बन जाते हैं, शमां जिसको जलाती है वो परवाने बन जाते हैं, कुछ हासिल करना ही प्यार की मंजिल नहीं होती, किसी को खोकर भी कुछ लोग दीवाने बन जाते हैं।
तू मिले या न मिले ये मेरे मुकद्दर की बात है, सुकून बहुत मिलता है तुझे अपना सोचकर।
मजा आता अगर गुजरी हुई बातों का अफसाना, कहीं से तुम बयाँ करते कहीं से हम बयाँ करते।
मिला वो लुत्फ हमको डूब कर तेरे ख्यालों में, कहाँ अब फर्क बाकी है अंधेरे और उजालों में।
सुकून मिल गया मुझ को बदनाम होकर, आपके हर एक इल्ज़ाम पे यूँ बेजुबान होकर, लोग पढ़ ही लेंगें आपकी आँखों में मोहब्बत, चाहे कर दो इनकार यूँ अनजान होकर।
इस लफ्ज-ए-मोहब्बत का इतना सा फसाना है, सिमटे तो दिल-ए-आशिक बिखरे तो जमाना है।
रह न पाओगे हमें भुला कर देख लो, यकीन न आये तो आजमा कर देख लो, हर जगह महसूस होगी हमारी कमी, बिना मेरे महफ़िल सजा कर देख लो।
आग के पास कभी मोम को ला कर देखूँ, हो इजाजत तो तुझे हाथ लगा कर देखूँ, दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है, सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूँ।
हमें तो अपनी मोहब्बत को आजमाना था, तेरी गली से गुजरना तो एक बहाना था, करीब पहुंचे समंदर के तो ख्याल आया, हमें किसी की निगाहों में डूब जाना था।
जो प्यार जो हकीकत में प्यार होता है, वो जिन्दगी में सिर्फ एक बार होता है, निगाहों के मिलते-मिलते दिल मिल जाये, ऐसा इतेफाक सिर्फ एक बार होता है।
अजब मौसम है मेरे हर कदम पर फूल रखता है, मोहब्बत में मोहब्बत का फरिश्ता साथ चलता है, मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंठ रख देना, यकीन आ जायेगा पलकों तले भी दिल धड़कता है।
जब खामोश आँखों से बात होती है ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है तुम्हारे ही ख्यालों में खोये रहते हैं पता नहीं कब दिन और कब रात होती है।
प्यार की कली सब के लिए खिलती नहीं, चाहने पर हर एक चीज मिलती नहीं, सच्चा प्यार किस्मत से मिलता है, और हर किसी को ऐसी किस्मत मिलती नहीं।
सिर्फ इशारों में होती मोहब्बत अगर, इन अलफाजों को खुबसूरती कौन देता? बस पत्थर बन के रह जाता ताज महल अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता।
अपनी मोहब्बत पे फक़त इतना भरोसा है मुझे, मेरी वफायें तुझे किसी और का होने न देंगी।
दावे मोहब्बत के मुझे नहीं आते सनम, एक जान है जब दिल चाहे माँग लेना।
तुमको हजार शर्म सही मुझको लाख ज़ब्त, उल्फ़त वो राज़ है जो छुपाया ना जायेगा।
यूँ भी तो राज़ खुल ही जायेगा, एक दिन हमारी मोहब्बत का, महफिल में जो हमको छोड़ कर, सब को सलाम करते हो।
हमदम तो साथ साथ चलते हैं, रस्ते तो बेवफा बदलते हैं, तेरा चेहरा है जब से आँखों में, मेरी आँखों से लोग जलते है।