मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार

30+ Top Munshi Premchand Quotes in Hindi

 विचार और व्यवहार में सामंजस्य न होना ही धूर्तता है, मक्कारी है।

विचार और व्यवहार में सामंजस्य न होना ही धूर्तता है, मक्कारी है।

 बल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद कोई नहीं सुनता।

बल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद कोई नहीं सुनता।

अधिकार में स्वयं एक आनंद है, जो उपयोगिता की परवाह नहीं करता।

अधिकार में स्वयं एक आनंद है, जो उपयोगिता की परवाह नहीं करता।

 माँ की ‘ममता’ और पिता की ‘क्षमता’ का अंदाज़ा लगा पाना असंभव है।

माँ की ‘ममता’ और पिता की ‘क्षमता’ का अंदाज़ा लगा पाना असंभव है।

 संसार में गऊ बनने से काम नहीं चलता, जितना दबो, उतना ही दबाते हैं।

संसार में गऊ बनने से काम नहीं चलता, जितना दबो, उतना ही दबाते हैं।

जिन वृक्षों की जड़ें गहरी होती हैं, उन्हें बार-बार सींचने की जरूरत नहीं होती।

जिन वृक्षों की जड़ें गहरी होती हैं, उन्हें बार-बार सींचने की जरूरत नहीं होती।

शारीरिक कष्टों का सहना उतना कठिन नहीं है, जितना कि मानसिक कष्टों का।

शारीरिक कष्टों का सहना उतना कठिन नहीं है, जितना कि मानसिक कष्टों का।

 जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है। उनका सुख छीनने में नहीं।

जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है। उनका सुख छीनने में नहीं।

संतान वह सबसे कठिन परीक्षा है जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए गढ़ी है।

संतान वह सबसे कठिन परीक्षा है जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए गढ़ी है।

 खुली हवा में चरित्र के भ्रष्ट होने की उससे कम संभावना है, जितना बन्द कमरे में।

खुली हवा में चरित्र के भ्रष्ट होने की उससे कम संभावना है, जितना बन्द कमरे में।

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