मोहल्ले की मोहब्बत का भी अजीब फसाना है, चार घर की दुरी है और बिच में सारा जमाना है। - Gulzar Shayari

मोहल्ले की मोहब्बत का भी अजीब फसाना है, चार घर की दुरी है और बिच में सारा जमाना है।

Gulzar Shayari

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