इलाही कुछ फेर-बदल कर दस्तूर में, मैं सवाली बनूँगा और वो ख़ैरात बने। - Sufi Shayari

इलाही कुछ फेर-बदल कर दस्तूर में, मैं सवाली बनूँगा और वो ख़ैरात बने।

Sufi Shayari