थक जाता हु अनकहे शब्दों के बोझ से पता नहीं चुप रहना समझदारी हे या मजबूरी। - Majburi Shayari

थक जाता हु अनकहे शब्दों के बोझ से पता नहीं चुप रहना समझदारी हे या मजबूरी।

Majburi Shayari