मुझ को अख़बार सी लगती हैं तुम्हारी बातें, हर नए रोज़ नया फ़ित्ना बयाँ करती हैं! - Akhbaar Shayari

मुझ को अख़बार सी लगती हैं तुम्हारी बातें, हर नए रोज़ नया फ़ित्ना बयाँ करती हैं!

Akhbaar Shayari