घर की इस बार मुकमल में तलाशी लूँगा, गम छुपा कर मेरे माँ-बाप कहाँ रखते थे! - Maa Baap Shayari

घर की इस बार मुकमल में तलाशी लूँगा, गम छुपा कर मेरे माँ-बाप कहाँ रखते थे!

Maa Baap Shayari