इसलिए आरज़ू छुपाई है, मुँह से निकली हुई पराई है. क़मर जलालवी. - Aarzoo Shayari

इसलिए आरज़ू छुपाई है, मुँह से निकली हुई पराई है. क़मर जलालवी.

Aarzoo Shayari