ये बोले समय की नदी का बहाव ये बाबूल की गलियाँ ये माँझी की नाव चली हो तो गोरी सुनो भूल जाओ न फिर याद करना न फिर याद आना! - Poetry Shayari

ये बोले समय की नदी का बहाव ये बाबूल की गलियाँ ये माँझी की नाव चली हो तो गोरी सुनो भूल जाओ न फिर याद करना न फिर याद आना!

Poetry Shayari