तेज़-रफ़्तार हवाओं को ये एहसास कहाँ शाख़ से टूटेगा पत्ता तो किधर जाएगा। - Poetry Shayari

तेज़-रफ़्तार हवाओं को ये एहसास कहाँ शाख़ से टूटेगा पत्ता तो किधर जाएगा।

Poetry Shayari