ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है मोहब्बत के लिए फिर एक दूसरे से रूठकर वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है। - Poetry Shayari

ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है मोहब्बत के लिए फिर एक दूसरे से रूठकर वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है।

Poetry Shayari