ज़ख़्म खरीद लाया हूं बाज़ार-ए-इश्क़ से दिल ज़िद कर रहा था मुझे इश्क चाहिए। - Poetry Shayari

ज़ख़्म खरीद लाया हूं बाज़ार-ए-इश्क़ से दिल ज़िद कर रहा था मुझे इश्क चाहिए।

Poetry Shayari