काँटे किसी के हक में किसी को गुलो-समर, क्या खूब एहतमाम-ए-गुलिस्ताँ है आजकल।
आप की खातिर अगर हम लूट भी लें आसमाँ, क्या मिलेगा चंद चमकीले से शीशे तोड़ के।
आईना फैला रहा है खुद-फरेबी का ये मर्ज, हर किसी से कह रहा है आप सा कोई नहीं।
किसी ने तो दे रखा होगा उनको भी मक़ाम, वर्ना ये बेघर लोग यूँ मुस्कुराते न फिरते।
शाख से तोड़े गए फूल ने हँस कर ये कहा, अच्छा होना भी बुरी बात है इस दुनिया में।
कुछ सोचूं तो तेरा ख्याल आ जाता है, कुछ बोलूं तो तेरा नाम आ जाता है, कब तलक बयाँ करूँ दिल की बात, हर सांस में अब तेरा एहसास आ जाता है।
मेरी आँखों में यही हद से ज्यादा बेशुमार है, तेरा ही इश्क़, तेरा ही दर्द, तेरा ही इंतज़ार है।
हम आपके प्यार में कुछ ऐसा कर जायेंगे, बन कर खुशबू इन हवाओं में बिखर जायेंगे, भुलाना अगर चाहो तो साँसों को रोक लेना, वरना साँस भी लोगे तो दिल में उतर जायेंगे।
कभी क़रीब तो कभी दूर हो के रोते हैं, मोहब्बतों के भी मौसम अजीब होते हैं।
वो वक़्त वो लम्हे कुछ अजीब होंगे, दुनिया में हम खुश नसीब होंगे, दूर से जब इतना याद करते है आपको, क्या होगा जब आप हमारे करीब होंगे।
यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहा, कि तेरे ही करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल से।
उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम, उसके ग़मो को हंसीं से सजा रहे थे हम, जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ जिसकी लो को हवा से बचा रहे थे हम।
एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का, सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का।
भूल कर भी अपने दिल की बात किसी से मत कहना, यहाँ कागज भी जरा सी देर में अखबार बन जाता है।
दीदार की तलब हो तो नजरें जमाये रख, क्यूँकि नक़ाब हो या नसीब सरकता जरुर है।
दौड़ में दौलत की तुम्हें जो भी मुक़ाम मिल जाये, नाम बदल देना मेरा जो इत्मिनान मिल जाये।
हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके, तन्हाइयों के खौफ से जो शख्स मर गया।
तुम्हारा सिर्फ इन हवाओं पे शक़ गया होगा, चिराग खुद भी तो जल-जल के थक गया होगा।