जल के आशियाँ अपना ख़ाक हो चुका कब का, आज तक ये आलम है रोशनी से डरते हैं।
 - New Shayari

जल के आशियाँ अपना ख़ाक हो चुका कब का, आज तक ये आलम है रोशनी से डरते हैं।

New Shayari