वक़्त का मुझे कोई होश नही, जिस्म मे मेरे कोई जोश नही, तरसाते हो तुम तनहाई मे और कहते हो ‘मेरा कोई दोष नही।
 - New Shayari

वक़्त का मुझे कोई होश नही, जिस्म मे मेरे कोई जोश नही, तरसाते हो तुम तनहाई मे और कहते हो ‘मेरा कोई दोष नही।

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