रोज़ आ जाते हो तुम नींद की मुंडेरों पर, बादलों में छुपे एक ख्वाब का मुखड़ा बन कर, खुद को फैलाओ कभी आसमाँ की बाँहों सा, तुम में घुल जाए कोई चाँद का टुकड़ा बन कर। - good night shayari

रोज़ आ जाते हो तुम नींद की मुंडेरों पर, बादलों में छुपे एक ख्वाब का मुखड़ा बन कर, खुद को फैलाओ कभी आसमाँ की बाँहों सा, तुम में घुल जाए कोई चाँद का टुकड़ा बन कर।

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