Chhatrapati Shivaji Maharaj Quotes

Chhatrapati Shivaji Maharaj Quotes with Images

Chhatrapati Shivaji Maharaj Quotes in Hindi

कभी भी अपना सर नही झुकाना चाहिए बल्कि हमेसा ऊचा ही रखना चाहिए।

अंगूर को जब तक न पेरो वह मीठी मदिरा नहीं बनती। वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट में पिसता नहीं तब तक उसके अन्दर की सर्वोत्तम प्रतिभा बाहर नहीं आती।

अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।

आत्मबल सामर्थ्य देता है और सामर्थ्य विद्या प्रदान करती है। तथा विद्या स्थिरता प्रदान करती है और स्थिरता विजय की तरफ ले जाती है।

एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योकी पुरुर्षाथ भी विद्या से ही आती है।

जो व्यक्ति सिर्फ अपने देश और सत्य के सामने झुकते है उनका आदर सभी जगह होता है।

स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर किसी को है।

इस दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र रहने का अधिकार है। और उस अधिकार को पाने के लिए वह किसी से भी लड़ सकता है।

अगर इंसान के पास आत्मबल है, तो वो पुरे संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।

जो मनुष्य अपने बुरे वक्त में भी पूरी लगन से अपने कार्यों में लगा रहता है। उसके लिए समय खुद अच्छे समय में बदल जाता है।

दुश्मन को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलवान समझ कर डरो भी मत।

प्रतिशोध की भावना मनुष्य को जलाती रहती है। सिर्फ संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एक उपाय हो सकता है।

एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए समुचित मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर सकता है।

यह जरूरी नहीं है कि गलती करके ही सीखा जाए। दूसरों की गलती से सीख लेते हुए भी सीखा जा सकता है।

शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यों न हो। उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।

एक वीर योद्दा हमेसा विद्वानों के सामने ही झुकता है।

बदला लेने की भावना मनुष्य को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एक मात्र उपाय है।

एक पुरुषार्थी व्यक्ति भी एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योंकि पुरुषार्थ भी विद्या से ही आता है।

अगर मनुष्य के पास आत्मबल है तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।

भले ही हर किसी के हाथ में तलवार हो। लेकिन यह इच्छाशक्ति होती है जो एक सत्ता स्थापित करती है।

जब लक्ष्य जीत का हो तो उसे हासिल करने के लिए कोई भी मूल्य क्यों न हो। उसे चुकाना ही पड़ता है।

जरुरी नहीं कि विपत्ति का सामना दुश्मन के सम्मुख से ही करने में वीरता हो। वीरता तो विजय में है।

नारी के सभी अधिकारों में, सबसे महान अधिकार माँ बनने का है।

आप जहां कहीं भी रहते हैं आपको अपने पूर्वजों का इतिहास जरूर मालूम होना चाहिए।

एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य के लिए, बाद में विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।

स्त्री के सभी अधिकारों में सबसे महान अधिकार मां बनने का है।

जब हौसले बुलन्द हों तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।

एक वीर योद्धा हमेशा विद्वानों के सामने ही झुकता है।

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कभी भी अपना सर नही झुकाना चाहिए बल्कि हमेसा ऊचा ही रखना चाहिए।
अंगूर को जब तक न पेरो वह मीठी मदिरा नहीं बनती। वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट में पिसता नहीं तब तक उसके अन्दर की सर्वोत्तम प्रतिभा बाहर नहीं आती।
अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।
आत्मबल सामर्थ्य देता है और सामर्थ्य विद्या प्रदान करती है। तथा विद्या स्थिरता प्रदान करती है और स्थिरता विजय की तरफ ले जाती है।
एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योकी पुरुर्षाथ भी विद्या से ही आती है।
जो व्यक्ति सिर्फ अपने देश और सत्य के सामने झुकते है उनका आदर सभी जगह होता है।
स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर किसी को है।
इस दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र रहने का अधिकार है। और उस अधिकार को पाने के लिए वह किसी से भी लड़ सकता है।
अगर इंसान के पास आत्मबल है, तो वो पुरे संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।
 जो मनुष्य अपने बुरे वक्त में भी पूरी लगन से अपने कार्यों में लगा रहता है। उसके लिए समय खुद अच्छे समय में बदल जाता है।
दुश्मन को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलवान समझ कर डरो भी मत।
प्रतिशोध की भावना मनुष्य को जलाती रहती है। सिर्फ संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एक उपाय हो सकता है।
 एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए समुचित मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर सकता है।
यह जरूरी नहीं है कि गलती करके ही सीखा जाए। दूसरों की गलती से सीख लेते हुए भी सीखा जा सकता है।
शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यों न हो। उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।
एक वीर योद्दा हमेसा विद्वानों के सामने ही झुकता है।
बदला लेने की भावना मनुष्य को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एक मात्र उपाय है।
 एक पुरुषार्थी व्यक्ति भी एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योंकि पुरुषार्थ भी विद्या से ही आता है।
अगर मनुष्य के पास आत्मबल है तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।
भले ही हर किसी के हाथ में तलवार हो। लेकिन यह इच्छाशक्ति होती है जो एक सत्ता स्थापित करती है।
जब लक्ष्य जीत का हो तो उसे हासिल करने के लिए कोई भी मूल्य क्यों न हो। उसे चुकाना ही पड़ता है।
जरुरी नहीं कि विपत्ति का सामना दुश्मन के सम्मुख से ही करने में वीरता हो। वीरता तो विजय में है।
नारी के सभी अधिकारों में, सबसे महान अधिकार माँ बनने का है।
आप जहां कहीं भी रहते हैं आपको अपने पूर्वजों का इतिहास जरूर मालूम होना चाहिए।
एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य के लिए, बाद में विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।
 स्त्री के सभी अधिकारों में सबसे महान अधिकार मां बनने का है।
 जब हौसले बुलन्द हों तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।
 एक वीर योद्धा हमेशा विद्वानों के सामने ही झुकता है।