Sadhvi Rithambara Quotes

Sadhvi Rithambara Quotes with Images

Sadhvi Rithambara Quotes in Hindi

बच्चे तुलसी के पेड़ की तरह होते हैं, जिन्हें संस्कारों के गंगा जल से सींचा जाना चाहिये|

हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहकर आधुनिकता को अपनाना चाहिए।

माला-मनका छोड़ के अब तो घर-घर अलख जगाओ, कुमकुम चंदन तज, माथे पर रज भारत की लगाओ।

भक्ति, ज्ञान और कर्म तीनों का समन्वय जीवन को पूर्णता देता है।

गुरू के हाथों जो मिटने और बनने को तैयार है, वो ही शिष्य होता है।

भारतीय संस्कृति का पालन ही विश्व को सच्चा मार्ग दिखा सकता है।

ध्यान, योग का जरूरी हिस्सा है जो तन, मन और आत्मा के मध्य सम्बंध बनाता है।

संस्कारों की शिक्षा से ही समाज में शांति और स्थिरता आती है।

साधना सिर्फ आत्म-कल्याण ही नही करती, बल्कि यह साधक को अनुकरणीय भी बनाती हैं।

आत्मबल और ईश्वर पर विश्वास हमें हर चुनौती से पार ले जा सकता है।

अगर जानना ही है, अपने आप को जानो, अगर मानना ही है, ईश्वर को मानो।

समाज का उत्थान नारी के सम्मान से ही संभव है।

धर्म कभी विभाजन नहीं करता, वह तो जोड़ने का काम करता है।

संकल्प से ही परिवर्तन संभव है।

सच्चे भक्त वही हैं जो कर्तव्य को धर्म मानते हैं।

हमारी परंपराएं हमें एकता और प्रेम का पाठ सिखाती हैं।

शक्ति ही शान्ति की नींव है।

आत्मनिर्भरता ही स्वाभिमान का आधार है।

धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।

स्त्री शक्ति को पहचानो, क्योंकि वह सृजन और संरक्षण दोनों का आधार है।

हमें अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर भविष्य को मजबूत बनाना चाहिए।

सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने से जीवन सार्थक बनता है।

राष्ट्र की सेवा ही सच्चा धर्म है।

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बच्चे तुलसी के पेड़ की तरह होते हैं, जिन्हें संस्कारों के गंगा जल से सींचा जाना चाहिये|
हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहकर आधुनिकता को अपनाना चाहिए।
माला-मनका छोड़ के अब तो घर-घर अलख जगाओ, कुमकुम चंदन तज, माथे पर रज भारत की लगाओ।
भक्ति, ज्ञान और कर्म तीनों का समन्वय जीवन को पूर्णता देता है।
गुरू के हाथों जो मिटने और बनने को तैयार है, वो ही शिष्य होता है।
भारतीय संस्कृति का पालन ही विश्व को सच्चा मार्ग दिखा सकता है।
ध्यान, योग का जरूरी हिस्सा है जो तन, मन और आत्मा के मध्य सम्बंध बनाता है।
संस्कारों की शिक्षा से ही समाज में शांति और स्थिरता आती है।
साधना सिर्फ आत्म-कल्याण ही नही करती, बल्कि यह साधक को अनुकरणीय भी बनाती हैं।
आत्मबल और ईश्वर पर विश्वास हमें हर चुनौती से पार ले जा सकता है।
अगर जानना ही है, अपने आप को जानो, अगर मानना ही है, ईश्वर को मानो।
समाज का उत्थान नारी के सम्मान से ही संभव है।
धर्म कभी विभाजन नहीं करता, वह तो जोड़ने का काम करता है।
संकल्प से ही परिवर्तन संभव है।
सच्चे भक्त वही हैं जो कर्तव्य को धर्म मानते हैं।
हमारी परंपराएं हमें एकता और प्रेम का पाठ सिखाती हैं।
शक्ति ही शान्ति की नींव है।
आत्मनिर्भरता ही स्वाभिमान का आधार है।
धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।
स्त्री शक्ति को पहचानो, क्योंकि वह सृजन और संरक्षण दोनों का आधार है।
हमें अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर भविष्य को मजबूत बनाना चाहिए।
सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने से जीवन सार्थक बनता है।
राष्ट्र की सेवा ही सच्चा धर्म है।