Sadhvi Rithambara Quotes, Status, and Thoughts in Hindi

राष्ट्र की सेवा ही सच्चा धर्म है।

राष्ट्र की सेवा ही सच्चा धर्म है।

सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने से जीवन सार्थक बनता है।

सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने से जीवन सार्थक बनता है।

हमें अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर भविष्य को मजबूत बनाना चाहिए।

हमें अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर भविष्य को मजबूत बनाना चाहिए।

स्त्री शक्ति को पहचानो, क्योंकि वह सृजन और संरक्षण दोनों का आधार है।

स्त्री शक्ति को पहचानो, क्योंकि वह सृजन और संरक्षण दोनों का आधार है।

धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।

धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।

आत्मनिर्भरता ही स्वाभिमान का आधार है।

आत्मनिर्भरता ही स्वाभिमान का आधार है।

शक्ति ही शान्ति की नींव है।

शक्ति ही शान्ति की नींव है।

हमारी परंपराएं हमें एकता और प्रेम का पाठ सिखाती हैं।

हमारी परंपराएं हमें एकता और प्रेम का पाठ सिखाती हैं।

सच्चे भक्त वही हैं जो कर्तव्य को धर्म मानते हैं।

सच्चे भक्त वही हैं जो कर्तव्य को धर्म मानते हैं।

संकल्प से ही परिवर्तन संभव है।

संकल्प से ही परिवर्तन संभव है।

धर्म कभी विभाजन नहीं करता, वह तो जोड़ने का काम करता है।

धर्म कभी विभाजन नहीं करता, वह तो जोड़ने का काम करता है।

समाज का उत्थान नारी के सम्मान से ही संभव है।

समाज का उत्थान नारी के सम्मान से ही संभव है।

अगर जानना ही है, अपने आप को जानो, अगर मानना ही है, ईश्वर को मानो।

अगर जानना ही है, अपने आप को जानो, अगर मानना ही है, ईश्वर को मानो।

आत्मबल और ईश्वर पर विश्वास हमें हर चुनौती से पार ले जा सकता है।

आत्मबल और ईश्वर पर विश्वास हमें हर चुनौती से पार ले जा सकता है।

साधना सिर्फ आत्म-कल्याण ही नही करती, बल्कि यह साधक को अनुकरणीय भी बनाती हैं।

साधना सिर्फ आत्म-कल्याण ही नही करती, बल्कि यह साधक को अनुकरणीय भी बनाती हैं।

संस्कारों की शिक्षा से ही समाज में शांति और स्थिरता आती है।

संस्कारों की शिक्षा से ही समाज में शांति और स्थिरता आती है।

ध्यान, योग का जरूरी हिस्सा है जो तन, मन और आत्मा के मध्य सम्बंध बनाता है।

ध्यान, योग का जरूरी हिस्सा है जो तन, मन और आत्मा के मध्य सम्बंध बनाता है।

भारतीय संस्कृति का पालन ही विश्व को सच्चा मार्ग दिखा सकता है।

भारतीय संस्कृति का पालन ही विश्व को सच्चा मार्ग दिखा सकता है।

गुरू के हाथों जो मिटने और बनने को तैयार है, वो ही शिष्य होता है।

गुरू के हाथों जो मिटने और बनने को तैयार है, वो ही शिष्य होता है।

भक्ति, ज्ञान और कर्म तीनों का समन्वय जीवन को पूर्णता देता है।

भक्ति, ज्ञान और कर्म तीनों का समन्वय जीवन को पूर्णता देता है।

माला-मनका छोड़ के अब तो घर-घर अलख जगाओ, कुमकुम चंदन तज, माथे पर रज भारत की लगाओ।

माला-मनका छोड़ के अब तो घर-घर अलख जगाओ, कुमकुम चंदन तज, माथे पर रज भारत की लगाओ।

हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहकर आधुनिकता को अपनाना चाहिए।

हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहकर आधुनिकता को अपनाना चाहिए।

बच्चे तुलसी के पेड़ की तरह होते हैं, जिन्हें संस्कारों के गंगा जल से सींचा जाना चाहिये|

बच्चे तुलसी के पेड़ की तरह होते हैं, जिन्हें संस्कारों के गंगा जल से सींचा जाना चाहिये|