Bachpan Shayari, Status, and Images in Hindi

Bachpan Status, Shayari, Messages, and Quotes With Images in Hindi.

Heart Touching Bachpan Shayari

हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में

तू बचपन में ही साथ छोड़ गयी थी, अब कहाँ मिलेगी ऐ जिन्दगी, तू वादा कर किसी रोज ख़्वाब में मिलेगी।

मै उसको छोड़ न पाया बुरी लतों की तरह, वो मेरे साथ है बचपन की आदतों की तरह

आते जाते रहा कर ए दर्द तू तो मेरा बचपन का साथी है.

किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है

बचपन भी क्या खूब था , जब शामें भी हुआ करती थी, अब तो सुबह के बाद, सीधा रात हो जाती है।

काश मैं लौट जाऊं बचपन की उन हसीं वादियों में ऐ जिंदगी जब न तो कोई जरूरत थी और न ही कोई जरूरी था

बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था

चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें, बडी मुद्दत हुई बेवजह हँसकर नही देखा

बहुत शौक था बचपन में दूसरों को खुश रखने का, बढ़ती उम्र के साथ वो महँगा शौक भी छूट गया।

वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है

ए ज़िंदगी! तू मेरी बचपन की गुड़िया जैसी बन जा, ताकि जब भी मैं जगाऊँ तू जग जा।

बचपन में खेल आते थे हर इमारत की छाँव के नीचे अब पहचान गए है मंदिर कौन सा और मस्जिद कौन सा..!!

आजकल आम भी पेड़ से खुद गिरके टूट जाया करते हैं छुप-छुप के इन्हें तोड़ने वाला अब बचपन नहीं रहा

बस इतनी सी अपनी कहानी है, एक बदहाल-सा बचपन, एक गुमनाम-सी जवानी है।

सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त, बचपन वाला इतवार अब नहीं आता

सीखने की कोई उम्र नही होती, और फिर सीखते-सिखाते बचपन गुज़र गया।

बचपन में लगी चोट पर मां की हल्‍की-हल्‍की फूँक, और कहना कि बस अभी ठीक हो जाएगा वाकई अब तक कोई मरहम वैसा नहीं बना ।

चुपके-चुपके ,छुप-छुपा कर लड्डू उड़ाना याद है. हमकोअब तक बचपने का वो जमाना याद है !

वो पुरानी साईकिल वो पुराने दोस्त जब भी मिलते है, वो मेरे गांव वाला पुराना बचपन फिर नया हो जाता है।

जो सोचता था बोल देता था, बचपन की आदतें कुछ ठीक ही थी

होठों पे मुस्कान थी कंधो पे बस्ता था सुकून के मामले में वो जमाना सस्ता था !

फिर से बचपन लौट रहा है शायद, जब भी नाराज होता हूँ खाना छोड़ देता हूँ ।

ज्यादा कुछ नही बदलता उम्र बढने के साथ, बचपन की जिद समझौतों मे बदल जाती है

शरारत करने का मन तो अब भी करता हैं, पता नही बचपन ज़िंदा हैं या ख़्वाहिशें अधूरी हैं।

बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें, आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें।

सपनों की दुनियाँ से तबादला हकीकत में हो गया, यक़ीनन बचपन से पहले उसका बचपना खो गया।

बचपन में आकाश को छूता सा लगता था इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं

सुकून की बात मत कर ए ग़ालिब बचपन वाला इतवार अब नही आता

जो सपने हमने बोए थे नीम की ठंडी छाँवों में, कुछ पनघट पर छूट गए,कुछ काग़ज़ की नावों में

जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई बचपन की तरह मैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे.

फिर से नज़र आएंगे किसी और में हमारे ये पल सारे, बचपन के सुनहरे दिन सारे।

बचपन तो वहीं खड़ा इंतजार कर रहा है, तुम बुढ़ापे की ओर दौड़ रहे हो।

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हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में
तू बचपन में ही साथ छोड़ गयी थी, अब कहाँ मिलेगी ऐ जिन्दगी, तू वादा कर किसी रोज ख़्वाब में मिलेगी।
 मै उसको छोड़ न पाया बुरी लतों की तरह, वो मेरे साथ है बचपन की आदतों की तरह
आते जाते रहा कर ए दर्द तू तो मेरा बचपन का साथी है.
किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है
बचपन भी क्या खूब था , जब शामें भी हुआ करती थी, अब तो सुबह के बाद, सीधा रात हो जाती है।
काश मैं लौट जाऊं बचपन की उन हसीं वादियों में ऐ जिंदगी जब न तो कोई जरूरत थी और न ही कोई जरूरी था
बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था
चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें, बडी मुद्दत हुई बेवजह हँसकर नही देखा
बहुत शौक था बचपन में दूसरों को खुश रखने का, बढ़ती उम्र के साथ वो महँगा शौक भी छूट गया।
वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है
ए ज़िंदगी! तू मेरी बचपन की गुड़िया जैसी बन जा, ताकि जब भी मैं जगाऊँ तू जग जा।
बचपन में खेल आते थे हर इमारत की छाँव के नीचे अब पहचान गए है मंदिर कौन सा और मस्जिद कौन सा..!!
आजकल आम भी पेड़ से खुद गिरके टूट जाया करते हैं छुप-छुप के इन्हें तोड़ने वाला अब बचपन नहीं रहा
बस इतनी सी अपनी कहानी है, एक बदहाल-सा बचपन, एक गुमनाम-सी जवानी है।
सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त, बचपन वाला इतवार अब नहीं आता
सीखने की कोई उम्र नही होती, और फिर सीखते-सिखाते बचपन गुज़र गया।
बचपन में लगी चोट पर मां की हल्‍की-हल्‍की फूँक, और कहना कि बस अभी ठीक हो जाएगा वाकई अब तक कोई मरहम वैसा नहीं बना ।
चुपके-चुपके ,छुप-छुपा कर लड्डू उड़ाना याद है. हमकोअब तक बचपने का वो जमाना याद है !
वो पुरानी साईकिल वो पुराने दोस्त जब भी मिलते है, वो मेरे गांव वाला पुराना बचपन फिर नया हो जाता है।
जो सोचता था बोल देता था, बचपन की आदतें कुछ ठीक ही थी
होठों पे मुस्कान थी कंधो पे बस्ता था सुकून के मामले में वो जमाना सस्ता था !
फिर से बचपन लौट रहा है शायद, जब भी नाराज होता हूँ खाना छोड़ देता हूँ ।
ज्यादा कुछ नही बदलता उम्र बढने के साथ, बचपन की जिद समझौतों मे बदल जाती है
शरारत करने का मन तो अब भी करता हैं, पता नही बचपन ज़िंदा हैं या ख़्वाहिशें अधूरी हैं।
बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें, आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें।
सपनों की दुनियाँ से तबादला हकीकत में हो गया, यक़ीनन बचपन से पहले उसका बचपना खो गया।
बचपन में आकाश को छूता सा लगता था इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं
सुकून की बात मत कर ए ग़ालिब बचपन वाला इतवार अब नही आता
जो सपने हमने बोए थे नीम की ठंडी छाँवों में, कुछ पनघट पर छूट गए,कुछ काग़ज़ की नावों में
जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई बचपन की तरह मैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे.
फिर से नज़र आएंगे किसी और में हमारे ये पल सारे, बचपन के सुनहरे दिन सारे।
बचपन तो वहीं खड़ा इंतजार कर रहा है, तुम बुढ़ापे की ओर दौड़ रहे हो।