Bewafa Shayari and Status for Boys and Girls in Hindi

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Heart Touching bewafa shayari

गम नहीं कि तुम बेवफा निकले, मगर अफ़सोस तो इस बात का है, वो सब लोग सच निकले, जिनसे हम तुम्हारे लिए लड़े थे।

मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने खत तेरे, तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी।

उसकी बेवफाई पे भी फ़िदा होती है जान अपनी, अगर उस में वफ़ा होती तो क्या होता खुदा जाने।

तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी, बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी।

जा तुझ को तेरे हाल पे छोड़ा, इस से बेहतर तेरी सजा भी क्या है।

आज हम उनको बेवफा बताकर आए हैं, उनके खतो को पानी में बहाकर आए हैं, कोई निकाल न ले उन्हें पानी से, इस लिए पानी में भी आग लगा कर आए हैं।

इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हो गए।

सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे, जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा।

मेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ, पूछ रहा है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह।

वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली, इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली।

तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की, हम बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे।

हमारी तबियत भी न जान सके हमे बेहाल देखकर, और हम कुछ न बता सके उन्हें खुशहाल देखकर।

क्या जानो तुम बेवफाई की हद दोस्तों, वो हमसे इश्क सीखती रही किसी ओर के लिए।

जाम पीकर भी ना खोते थे होश कभी, आज बिन पिए भी हम लड़खड़ाने लगे हैं, पहले कहती थी ये दुनिया हमको बेवफा, आज वो भी इल्जाम बेवफाई का लगाने लगे हैं…

गहराई प्यार में हो तो बेवफाई नहीं होती, सच्चे प्यार में कहीं तन्हाई नहीं होती, मगर प्यार ज़रा संभल कर करना मेरे दोस्त, प्यार के ज़ख्म की कोई दवा नहीं होती।

किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना, मोहब्बत में यही लम्हा क़यामत की निशानी है।

इलाही क्यूँ नहीं उठती क़यामत माजरा क्या है, हमारे सामने पहलू में वो दुश्मन के बैठे हैं।

तू बेवफा है तेरी बेवफ़ाई में दिल बेकरार ही ना करूँ, तू हुक्म दे तो तेरा इंतेज़ार ही ना करूँ, बेवफा है तो कुछ इस कदर बेवफ़ाई कर, कि तेरे बाद मैं किसी और से प्यार ही ना करूँ।

आंसुओ तले मेरे सारे अरमान बह गये, जिनसे उम्मीद लगाए थे वही बेवफा हो गये, थी हमे जिन चिरागो से उजाले की चाह, वो चिराग ना जाने किन अंधेरो में खो गये।

उसने जी भर के मुझको चाहा था, फ़िर हुआ यूँ के उसका जी भर गया।

वो तो अपने दर्द रो-रो के सुनाते रहे, हमारी तन्हाइयों से आँख चुराते रहे, और हमें बेवफा का नाम मिला क्योंकि, हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।

तुम बदले तो मजबूरियाँ थी, हम बदले तो बेवफ़ा हो गए।

हम तो तेरे दिल की महफ़िल सजाने आए थे, तेरी कसम तुझे अपना बनाने आए थे, किस बात की सजा दी तुने हमको बेवफा, हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आए थे।

तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना, तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना, मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना, मैं शौक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।

प्यार किसी को करोगे रुस्वाई ही मिलेगी, वफ़ा कर लो चाहे जितनी बेवफाई ही मिलेगी, जितना मर्जी किसी को अपना बना लो, जब आँख खुलेगी तन्हाई ही मिलेगी।

ये बेवफा सनम वफा की कीमत क्या जाने है बेवफा गम-ऐ मोहब्बत क्या जाने, जिन्हे मिलता है हर मोड़ पर नया हमसफर, वो भला प्यार की कीमत क्या जाने।

समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से, अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी।

वफ़ा के नाम से वो अनजान थे, किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे, हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला, हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे।

मेरी मोहब्बत सच्ची है इसलिए तेरी याद आती है, अगर तेरी बेवफाई सच्ची है तो अब याद मत आना।

हसीनों ने हसीन बन कर गुनाह किया, औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया, पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफाई को, औरों ने तो क्या उन्होंने भी वाह वाह किया।

उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा, दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है।

वो खुदा था मेरा अब मेरा ईमान है, चला गया छोड़ कर इसलिए दिल उदास है, बेवफा नही कहूंगा मैं उसको, क्यूंकी इश्क़ करना उसका मुझ पर अहसान है।

काश कि हम उनके दिल पे राज़ करते, जो कल था वही प्यार आज करते, हमें ग़म नहीं उनकी बेवफाई का, बस अरमां था कि, हम भी अपने प्यार पर नाज़ करते।

बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से, बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से, ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उसने दवा के नाम से, आसमान भी रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम देखकर ....

गुज़रे दिनों की भूली हुई बात की तरह, आँखों में जागता है कोई रात की तरह, उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो, वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।

टूटे हुए दिल ने भी उसके लिए दुआ मांगी, मेरी साँसों ने हर पल उसकी ख़ुशी मांगी, न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से, के मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी।

फूलों के साथ काँटे नसीब होते हैं, ख़ुशी के साथ ग़म भी नसीब होता है, यूँ तो मजबूरी ले डूबती हर आशिक को, वरना खुशी से बेवफ़ा कौन होता है!

प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था, वफ़ा के बदले मिलेगी बेवफाई कहाँ मालूम था, सोचा था तैर के पार कर लेंगे प्यार के दरिया को, पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था।

ये शायरी की महफ़िल बनी है आशिकों के लिये, बेवफाओं की क्या औकात जो शब्दों को तोल सके।

खुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफा को, दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी।

जब तक न लगे बेवफाई की ठोकर, हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है।

तेरी यादें हर रोज आ जाती है मेरे पास, लगता है तुमने बेवफाई नहीं सिखाई इनको।

तेरी बेवफाई ने मेरा ये हाल कर दिया है, मैं नहीं रोती लोग मुझे देख कर रोते हैं।

सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे, लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे।

सिखा दी बेवफ़ाई करना ज़ालिम ज़माने ने तुम्हे, तुम जो भी सीख जाते हो हम पर ही आजमाते हो।

तेरे हुस्न पे तारीफों भरी किताब लिख देता, काश तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती।

बेवफ़ाई का मुझे... जब भी ख़याल आता है, अश्क़ रुख़सार पर आँखों से निकल जाते हैं।

बेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी ऐ दिल-ए-जाना, आज ज़रा वक़्त पर आना मेहमान-ए-ख़ास हो तुम।

मेरी वफा के क़ाबिल नहीं हो तुम, प्यार मिले ऐसे इन्सान नहीं हो तुम, दिल क्या तुम पर ऐतबार करेगा, प्यार मे धोखा दिया ऐसे बेवफा हो तुम।

बेवफ़ा से कभी प्यार नहीं होता, मरने के बाद इंतज़ार नहीं होता, दोस्ती देख कर करना मेरे दोस्त, हर दोस्त वफ़ादार नहीं होता।

कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी, कि तुझे अलविदा भी ना कह सका, तेरी सादगी में इतना फरेब था, कि तुझे बेवफा भी न कह सका।

गुनाह करके सज़ा से डरते हैं, पी के ज़हर दवा से डरते हैं, दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं हमको, हम तो दोस्तों की बेवफाई से डरते हैं।

जो भी मिला वो हम से खफा मिला, देखो दोस्ती का क्या सिला मिला, उम्र भर रही फ़क़त वफ़ा की तलाश, पर हर शख्स मुझको बेवफ़ा मिला।

ऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करना, मेरे भरोसे को रुस्वा न करना, दिल में तेरे कोई और बस जाये तो बता देना, मेरे दिल में रहकर बेवफाई न करना।

हर भूल तेरी माफ़ की तेरी हर खता को भुला दिया, गम है कि मेरे प्यार का तूने बेवफाई सिला दिया।

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गम नहीं कि तुम बेवफा निकले, मगर अफ़सोस तो इस बात का है, वो सब लोग सच निकले, जिनसे हम तुम्हारे लिए लड़े थे।
मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने खत तेरे, तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी।
उसकी बेवफाई पे भी फ़िदा होती है जान अपनी, अगर उस में वफ़ा होती तो क्या होता खुदा जाने।
तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी, बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी।
जा तुझ को तेरे हाल पे छोड़ा, इस से बेहतर तेरी सजा भी क्या है।
आज हम उनको बेवफा बताकर आए हैं, उनके खतो को पानी में बहाकर आए हैं, कोई निकाल न ले उन्हें पानी से, इस लिए पानी में भी आग लगा कर आए हैं।
इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हो गए।
सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे, जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा।
मेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ, पूछ रहा है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह।
वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली, इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली।
तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की, हम बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे।
हमारी तबियत भी न जान सके हमे बेहाल देखकर, और हम कुछ न बता सके उन्हें खुशहाल देखकर।
क्या जानो तुम बेवफाई की हद दोस्तों, वो हमसे इश्क सीखती रही किसी ओर के लिए।
जाम पीकर भी ना खोते थे होश कभी, आज बिन पिए भी हम लड़खड़ाने लगे हैं, पहले कहती थी ये दुनिया हमको बेवफा,  आज वो भी इल्जाम बेवफाई का लगाने लगे हैं…
गहराई प्यार में हो तो बेवफाई नहीं होती, सच्चे प्यार में कहीं तन्हाई नहीं होती, मगर प्यार ज़रा संभल कर करना मेरे दोस्त, प्यार के ज़ख्म की कोई दवा नहीं होती।
किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना, मोहब्बत में यही लम्हा क़यामत की निशानी है।
इलाही क्यूँ नहीं उठती क़यामत माजरा क्या है, हमारे सामने पहलू में वो दुश्मन के बैठे हैं।
तू बेवफा है तेरी बेवफ़ाई में दिल बेकरार ही ना करूँ, तू हुक्म दे तो तेरा इंतेज़ार ही ना करूँ, बेवफा है तो कुछ इस कदर बेवफ़ाई कर, कि तेरे बाद मैं किसी और से प्यार ही ना करूँ।
आंसुओ तले मेरे सारे अरमान बह गये, जिनसे उम्मीद लगाए थे वही बेवफा हो गये, थी हमे जिन चिरागो से उजाले की चाह, वो चिराग ना जाने किन अंधेरो में खो गये।
उसने जी भर के मुझको चाहा था, फ़िर हुआ यूँ के उसका जी भर गया।
वो तो अपने दर्द रो-रो के सुनाते रहे, हमारी तन्हाइयों से आँख चुराते रहे, और हमें बेवफा का नाम मिला क्योंकि, हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।
तुम बदले तो मजबूरियाँ थी, हम बदले तो बेवफ़ा हो गए।
हम तो तेरे दिल की महफ़िल सजाने आए थे, तेरी कसम तुझे अपना बनाने आए थे, किस बात की सजा दी तुने हमको बेवफा, हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आए थे।
तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना, तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना, मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना, मैं शौक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।
प्यार किसी को करोगे रुस्वाई ही मिलेगी, वफ़ा कर लो चाहे जितनी बेवफाई ही मिलेगी, जितना मर्जी किसी को अपना बना लो, जब आँख खुलेगी तन्हाई ही मिलेगी।
ये बेवफा सनम वफा की कीमत क्या जाने है बेवफा गम-ऐ मोहब्बत क्या जाने, जिन्हे मिलता है हर मोड़ पर नया हमसफर, वो भला प्यार की कीमत क्या जाने।
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से, अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी।
वफ़ा के नाम से वो अनजान थे, किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे, हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला, हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे।
मेरी मोहब्बत सच्ची है इसलिए तेरी याद आती है, अगर तेरी बेवफाई सच्ची है तो अब याद मत आना।
हसीनों ने हसीन बन कर गुनाह किया, औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया, पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफाई को, औरों ने तो क्या उन्होंने भी वाह वाह किया।
उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा, दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है।
वो खुदा था मेरा अब मेरा ईमान है, चला गया छोड़ कर इसलिए दिल उदास है, बेवफा नही कहूंगा मैं उसको,
क्यूंकी इश्क़ करना उसका मुझ पर अहसान है।
काश कि हम उनके दिल पे राज़ करते, जो कल था वही प्यार आज करते, हमें ग़म नहीं उनकी बेवफाई का, बस अरमां था कि, हम भी अपने प्यार पर नाज़ करते।
बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से, बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से, ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उसने दवा के नाम से, आसमान भी रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम देखकर ....
गुज़रे दिनों की भूली हुई बात की तरह, आँखों में जागता है कोई रात की तरह, उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो, वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।
टूटे हुए दिल ने भी उसके लिए दुआ मांगी, मेरी साँसों ने हर पल उसकी ख़ुशी मांगी, न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से, के मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी।
फूलों के साथ काँटे नसीब होते हैं, ख़ुशी के साथ ग़म भी नसीब होता है, यूँ तो मजबूरी ले डूबती हर आशिक को, वरना खुशी से बेवफ़ा कौन होता है!
प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था, वफ़ा के बदले मिलेगी बेवफाई कहाँ मालूम था, सोचा था तैर के पार कर लेंगे प्यार के दरिया को, पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था।
ये शायरी की महफ़िल बनी है आशिकों के लिये, बेवफाओं की क्या औकात जो शब्दों को तोल सके।
खुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफा को, दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी।
जब तक न लगे बेवफाई की ठोकर, हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है।
तेरी यादें हर रोज आ जाती है मेरे पास, लगता है तुमने बेवफाई नहीं सिखाई इनको।
तेरी बेवफाई ने मेरा ये हाल कर दिया है, मैं नहीं रोती लोग मुझे देख कर रोते हैं।
सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे, लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे।
सिखा दी बेवफ़ाई करना ज़ालिम ज़माने ने तुम्हे, तुम जो भी सीख जाते हो हम पर ही आजमाते हो।
तेरे हुस्न पे तारीफों भरी किताब लिख देता, काश तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती।
बेवफ़ाई का मुझे... जब भी ख़याल आता है, अश्क़ रुख़सार पर आँखों से निकल जाते हैं।
बेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी ऐ दिल-ए-जाना, आज ज़रा वक़्त पर आना मेहमान-ए-ख़ास हो तुम।
मेरी वफा के क़ाबिल नहीं हो तुम, प्यार मिले ऐसे इन्सान नहीं हो तुम, दिल क्या तुम पर ऐतबार करेगा, प्यार मे धोखा दिया ऐसे बेवफा हो तुम।
बेवफ़ा से कभी प्यार नहीं होता, मरने के बाद इंतज़ार नहीं होता, दोस्ती देख कर करना मेरे दोस्त, हर दोस्त वफ़ादार नहीं होता।
कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी, कि तुझे अलविदा भी ना कह सका, तेरी सादगी में इतना फरेब था, कि तुझे बेवफा भी न कह सका।
गुनाह करके सज़ा से डरते हैं, पी के ज़हर दवा से डरते हैं, दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं हमको, हम तो दोस्तों की बेवफाई से डरते हैं।
जो भी मिला वो हम से खफा मिला, देखो दोस्ती का क्या सिला मिला, उम्र भर रही फ़क़त वफ़ा की तलाश, पर हर शख्स मुझको बेवफ़ा मिला।
ऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करना, मेरे भरोसे को रुस्वा न करना, दिल में तेरे कोई और बस जाये तो बता देना, मेरे दिल में रहकर बेवफाई न करना।
हर भूल तेरी माफ़ की तेरी हर खता को भुला दिया, गम है कि मेरे प्यार का तूने बेवफाई सिला दिया।