Kismat Status, Shayari, and Images in Hindi

किस्मत की कश्ती का माँझी क्यों सो जाता है, चाँद ढूँढते ढूँढते तारों में खो जाता है।

किस्मत की कश्ती का माँझी क्यों सो जाता है, चाँद ढूँढते ढूँढते तारों में खो जाता है।

कुछ तो लिखा होगा किस्मत में, वरना आप हम से यूं ना मिले होते।

कुछ तो लिखा होगा किस्मत में, वरना आप हम से यूं ना मिले होते।

किस्मत की लकीरों से चुराया था जिसे, चंद लम्हों के लिए भी वो मेरा ना हुआ।

किस्मत की लकीरों से चुराया था जिसे, चंद लम्हों के लिए भी वो मेरा ना हुआ।

मुक़द्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा हो, देर से किस्मत खुलने वालो का दुगुना फायदा हो.

मुक़द्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा हो, देर से किस्मत खुलने वालो का दुगुना फायदा हो.

कभी-कभी किस्मत भी कमाल कर देता है, रोटी कमाने निकलों तो सिर पर ताज रख देता है.

कभी-कभी किस्मत भी कमाल कर देता है, रोटी कमाने निकलों तो सिर पर ताज रख देता है.

मुझ में और किस्मत में हर बार बस यही जंग रही, मैं उसके फैसलें से तंग और वो मेरे हैसले से दंग रही।

मुझ में और किस्मत में हर बार बस यही जंग रही, मैं उसके फैसलें से तंग और वो मेरे हैसले से दंग रही।

तलब ऐसी है कि साँसों में बसा लूँ तुम्हें, और किस्मत ऐसी है कि देखने को मोहताज हूँ तुम्हें।

तलब ऐसी है कि साँसों में बसा लूँ तुम्हें, और किस्मत ऐसी है कि देखने को मोहताज हूँ तुम्हें।

ज़िन्दगी है कट जाएगी, किस्मत है, किसी दिन पलट जाएगी।

ज़िन्दगी है कट जाएगी, किस्मत है, किसी दिन पलट जाएगी।

किस्मत पर रोना मैंने छोड़ दिया, अपनी उम्मीदों को मैंने हौसलों से जोड़ दिया।

किस्मत पर रोना मैंने छोड़ दिया, अपनी उम्मीदों को मैंने हौसलों से जोड़ दिया।

जैसे बिछड़ने की जल्दबाजी हो, मिलकर भी ऐसे बिछड़ना हुआ, जैसे कायनातए किस्मत की जालसाजी हो।

जैसे बिछड़ने की जल्दबाजी हो, मिलकर भी ऐसे बिछड़ना हुआ, जैसे कायनातए किस्मत की जालसाजी हो।

अपने हाथों अपनी किस्मत बिगाड़ा हूँ,  एक खेल है और मैं अनाड़ी हूँ।

अपने हाथों अपनी किस्मत बिगाड़ा हूँ, एक खेल है और मैं अनाड़ी हूँ।

छत कहाँ थी नसीब में, फुटपाथ को ही जागीर समझे छालों से कटी हथेली, हम किस्मत की लकीर समझे.

छत कहाँ थी नसीब में, फुटपाथ को ही जागीर समझे छालों से कटी हथेली, हम किस्मत की लकीर समझे.

कुछ तेरी फ़ितरत में नहीं थी वफ़ादारी, कुछ मेरी किस्मत में बेवफ़ाई थी, वक़्त को क्या दोष दूँ, वक़्त ने तो बस मुहोब्बत आजमाई थी.

कुछ तेरी फ़ितरत में नहीं थी वफ़ादारी, कुछ मेरी किस्मत में बेवफ़ाई थी, वक़्त को क्या दोष दूँ, वक़्त ने तो बस मुहोब्बत आजमाई थी.

किस्मत कि लकीरों में तुम लिखे हो या नही पता नहीं, पर हाथों की लकीरों पे तुम्हें हर रोज लिखता हूँ।

किस्मत कि लकीरों में तुम लिखे हो या नही पता नहीं, पर हाथों की लकीरों पे तुम्हें हर रोज लिखता हूँ।

बदलता नहीं ये किस्मत, कैसी है इसकी फितरत, सोचता हूँ खरीद लू पर लेता नहीं ये रिश्वत।

बदलता नहीं ये किस्मत, कैसी है इसकी फितरत, सोचता हूँ खरीद लू पर लेता नहीं ये रिश्वत।

तुम मिले तो यूँ लगा, हर दुआ कबूल हो गयी, कांच सी टूटी क़िस्मत मेरी हीरों का नूर हो गयी.

तुम मिले तो यूँ लगा, हर दुआ कबूल हो गयी, कांच सी टूटी क़िस्मत मेरी हीरों का नूर हो गयी.

जिन्दगी की राह पर चलते रहो मुसाफ़िर बनकर, क्या पता नसीब से मिल जाए जिंदगी का हमसफ़र।

जिन्दगी की राह पर चलते रहो मुसाफ़िर बनकर, क्या पता नसीब से मिल जाए जिंदगी का हमसफ़र।

हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब है, कमबख्त मुट्ठी में तो है पर काबू में नहीं।

हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब है, कमबख्त मुट्ठी में तो है पर काबू में नहीं।

ये गम न होता तो कोई और गम होना था, क्योंकि मेरे नसीब में लिखा रोना था.

ये गम न होता तो कोई और गम होना था, क्योंकि मेरे नसीब में लिखा रोना था.

किस्मत अपनी अपनी है, किसको क्या सौगात मिले किसी को खाली सीप मिले किसी को मोती साथ मिले

किस्मत अपनी अपनी है, किसको क्या सौगात मिले किसी को खाली सीप मिले किसी को मोती साथ मिले

किस्मत बुरी या मैं बुरा, इसका फैसला न हुआ, मैं तो सबका हो गया, मगर कोई मेरा न हुआ.

किस्मत बुरी या मैं बुरा, इसका फैसला न हुआ, मैं तो सबका हो गया, मगर कोई मेरा न हुआ.

यूँ ही नहीं होती हाथ की लकीरों के आगे उंगलियाँ, खुदा ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है.

यूँ ही नहीं होती हाथ की लकीरों के आगे उंगलियाँ, खुदा ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है.

दरवाजे खोल दो, कोई पूछने भी नहीं आएगा, भूल जाना उसे मुश्किल तो नहीं है लेकिन,

दरवाजे खोल दो, कोई पूछने भी नहीं आएगा, भूल जाना उसे मुश्किल तो नहीं है लेकिन,