Matlabi Dost Shayari – जब दोस्त मतलब तक ही सीमित हो
दोस्ती नाम होता है साथ निभाने का, बिना किसी स्वार्थ, बिना किसी शर्त।
लेकिन आजकल के रिश्तों में दोस्ती भी मतलब तक सिमट गई है।
Matlabi Dost Shayari उन जज़्बातों की आवाज़ है, जो तब टूट जाते हैं जब आप सोचते हैं कोई अपना है… और वो बस जरूरत पड़ने पर ही याद करता है।
मतलबी दोस्त पहले आपके साथ हँसते हैं, बातें करते हैं, भरोसा बनाते हैं —
फिर जब उन्हें आपकी ज़रूरत नहीं रहती, तो आपको पहचानना भी छोड़ देते हैं।
ऐसे रिश्तों से ज़्यादा दर्दनाक कुछ नहीं होता, जहाँ मोहब्बत एकतरफा हो और मतलब दोतरफा।
शायरी ही तब वो रास्ता बनती है जिससे दिल की तन्हाई को आवाज़ मिलती है।
इस ब्लॉग में हम लाए हैं Matlabi Doston पर करारी और सच्ची Shayari,
जो आपको न सिर्फ सुकून देगी, बल्कि उन नकली चेहरों को भी आईना दिखाएगी।
क्योंकि सच्ची दोस्ती निभाई जाती है, इस्तेमाल नहीं की जाती — और जो सिर्फ मतलब के लिए आते हैं, वो दोस्त नहीं… मौका परस्त होते हैं।