वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत है, देती थी नया जख्म वो रोज मेरी ख़ुशी के लिए। - Gam Bhari Shayari

वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत है, देती थी नया जख्म वो रोज मेरी ख़ुशी के लिए।

Gam Bhari Shayari

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