लेके अपनी अपनी क़िस्मत, आए थे गुलशन में गुल, कुछ बहारों में खिले, कुछ ख़िज़ाँ में खो गए।
 - Kismat Shayari

लेके अपनी अपनी क़िस्मत, आए थे गुलशन में गुल, कुछ बहारों में खिले, कुछ ख़िज़ाँ में खो गए।

Kismat Shayari