Aadmi Shayari, Status, and Images in Hindi

Best Aadmi Status, Shayari, Messages, and Quotes With Images in Hindi.

Heart Touching Aadmi Shayari

मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर, मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया

एक आंधी जिसे ले जाए उड़ा कर पल में आदमी रेत के टीलों की तरह होता है

न जाने बाहर भी कितने आसेब मुंतज़िर हों अभी मैं अंदर के आदमी से डरा हुआ हूँ

फूल कर ले निबाह काँटों से आदमी ही न आदमी से मिले

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया, होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया

आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए

ख़ुदा बदल न सका आदमी को आज भी होश, और अब तक आदमी ने सैकड़ों ख़ुदा बदले।

ख़ूबसूरत है सिर्फ़ बाहर से ये इमारत भी आदमी सी है

यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं, मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे!

फ़रिश्ते से बढ़कर है इंसान बनना, मगर इसमें लगती है मेहनत ज़्यादा!

सब से पुर-अम्न वाक़िआ ये है आदमी आदमी को भूल गया

आदमी आदमी से मिलता है, दिल मगर कम किसी से मिलता है भूल जाता हूँ मैं सितम उस के, वो कुछ इस सादगी से मिलता है!

क्या डरें हम भूत-डायन-सी किसी भी बद-बला से आदमी से ही नहीं महफ़ूज़ है जब आदमी अब!

जानवर आदमी फ़रिश्ता ख़ुदा, आदमी की हैं सैकड़ों क़िस्में!

आदमी बुलबुला है पानी का, क्या भरोसा है ज़िंदगानी का!

फिरता है कैसे-कैसे सवालों के साथ वो उस आदमी की जामातलाशी तो लीजिए

तेरी मर्ज़ी थी तू चाहे जो बना देता मेरा लेकिन तूने आदमी तोड़ कर पत्थर नहीं बनाना था

देवताओं का ख़ुदा से होगा काम आदमी को आदमी दरकार है

दुनिया का तो पता नहीं आदमी एक बहाना है

इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं, तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे, बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला!

हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी, जिसको भी देखना बड़े गौर से देखना!

आदमी होता है माहौल से अच्छा या बुरा जानवर घर में रखे जाएं तो इन्सान से हैं

देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे

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मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर, मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया
एक आंधी जिसे ले जाए उड़ा कर पल में आदमी रेत के टीलों की तरह होता है
न जाने बाहर भी कितने आसेब मुंतज़िर हों अभी मैं अंदर के आदमी से डरा हुआ हूँ
फूल कर ले निबाह काँटों से आदमी ही न आदमी से मिले
 गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया, होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया
आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए
ख़ुदा बदल न सका आदमी को आज भी होश, और अब तक आदमी ने सैकड़ों ख़ुदा बदले।
 ख़ूबसूरत है सिर्फ़ बाहर से ये इमारत भी आदमी सी है
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं, मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे!
फ़रिश्ते से बढ़कर है इंसान बनना, मगर इसमें लगती है मेहनत ज़्यादा!
सब से पुर-अम्न वाक़िआ ये है आदमी आदमी को भूल गया
आदमी आदमी से मिलता है, दिल मगर कम किसी से मिलता है भूल जाता हूँ मैं सितम उस के, वो कुछ इस सादगी से मिलता है!
क्या डरें हम भूत-डायन-सी किसी भी बद-बला से आदमी से ही नहीं महफ़ूज़ है जब आदमी अब!
जानवर आदमी फ़रिश्ता ख़ुदा, आदमी की हैं सैकड़ों क़िस्में!
 आदमी बुलबुला है पानी का, क्या भरोसा है ज़िंदगानी का!
फिरता है कैसे-कैसे सवालों के साथ वो उस आदमी की जामातलाशी तो लीजिए
तेरी मर्ज़ी थी तू चाहे जो बना देता मेरा लेकिन तूने आदमी तोड़ कर पत्थर नहीं बनाना था
 देवताओं का ख़ुदा से होगा काम आदमी को आदमी दरकार है
दुनिया का तो पता नहीं आदमी एक बहाना है
 इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं, तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे, बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला!
 हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी, जिसको भी देखना बड़े गौर से देखना!
आदमी होता है माहौल से अच्छा या बुरा जानवर घर में रखे जाएं तो इन्सान से हैं
देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे