Alfaaz Status for WhatsApp – Express Your Feelings

कभी-कभी दिल में इतनी बातें होती हैं कि समझ नहीं आता, किससे कहें और कैसे कहें।
ऐसे में अल्फ़ाज़ ही वो ज़रिया बनते हैं, जो हमारे जज़्बातों को बिना आवाज़ के भी सबसे गहराई तक पहुँचा देते हैं।
Alfaaz Shayari सिर्फ शब्द नहीं होती, वो हमारी खामोशियों का चेहरा होती है — जो उन बातों को बयां कर देती है जिन्हें हम दिल में छुपाए फिरते हैं।

हर शख्स के अंदर एक कहानी होती है, कुछ अधूरे ख़्वाब, कुछ छुपे हुए दर्द, कुछ न मिटने वाली यादें —
और जब उन्हें अल्फ़ाज़ मिलते हैं, तो वो सिर्फ शायरी नहीं रह जाती, बल्कि रूह की सच्ची आवाज़ बन जाती है।
चाहे वो मोहब्बत हो या जुदाई, खुशी हो या तन्हाई — हर एहसास को बयां करने के लिए अल्फ़ाज़ ही सबसे खास होते हैं।

इस ब्लॉग में हम लाए हैं दिल से निकले हुए, बेहद असरदार Alfaaz Status for WhatsApp,
जो आपके हर उस एहसास को ज़ुबान देंगे जिसे आप अब तक सिर्फ महसूस कर रहे थे।
क्योंकि जब दिल बोले और ज़ुबान चुप रहे, तब अल्फ़ाज़ ही वो रिश्ता बनते हैं जो दुनिया को आपके दिल से जोड़ते हैं।

सांस के साथ अकेला चल रहा था, जब सांस गई तो सब साथ चल रहे थे।

सांस के साथ अकेला चल रहा था, जब सांस गई तो सब साथ चल रहे थे।

बहुत भीड़ है मोहब्बत के इस शहर में, एक बार जो बिछड़ा, वापस नही मिलता।

बहुत भीड़ है मोहब्बत के इस शहर में, एक बार जो बिछड़ा, वापस नही मिलता।

डालकर आदत बेपनाह मोहब्बत की, अब वो कहते हैं कि समझा करो वक़्त नही है।

डालकर आदत बेपनाह मोहब्बत की, अब वो कहते हैं कि समझा करो वक़्त नही है।

मुझे छूकर एक फकीर ने कहा… अजीब “लाश” है, “सांस” भी लेती है…

मुझे छूकर एक फकीर ने कहा… अजीब “लाश” है, “सांस” भी लेती है…

दिल के जज्बातों को अल्फाजों में बयाँ करना पड़ता है, अब वो मोहब्बत नहीं जो जज्बातों को समझ सके।

दिल के जज्बातों को अल्फाजों में बयाँ करना पड़ता है, अब वो मोहब्बत नहीं जो जज्बातों को समझ सके।

शायर है हम शराबी नहीं, जब तक चाय नहीं पीते, अल्फाज पन्नों पर नहीं बरसते।

शायर है हम शराबी नहीं, जब तक चाय नहीं पीते, अल्फाज पन्नों पर नहीं बरसते।

मत लगाओ बोली अपने अल्फ़ाज़ों की हमने लिखना शुरू किया तो तुम नीलाम हो जाओगे!

मत लगाओ बोली अपने अल्फ़ाज़ों की हमने लिखना शुरू किया तो तुम नीलाम हो जाओगे!

फासले रख के क्या हासिल कर लिया तूने रहती तो आज भी तू मेरे दिल में ही है!

फासले रख के क्या हासिल कर लिया तूने रहती तो आज भी तू मेरे दिल में ही है!

दोस्त बेशक एक हो लेकिन ऐसा हो, जो अल्फाज से ज्यादा खामोशी को समझें।

दोस्त बेशक एक हो लेकिन ऐसा हो, जो अल्फाज से ज्यादा खामोशी को समझें।

वो सोचती होगी बड़े चैन से सो रहा हूँ मै, उसे क्या पता ओढ़ के चादर रो रहा हूँ मै.

वो सोचती होगी बड़े चैन से सो रहा हूँ मै, उसे क्या पता ओढ़ के चादर रो रहा हूँ मै.

शायद अब लौट ना पाऊं कभी खुशियों के बाजार में, गम ने ऊंची बोली लगाकर खरीद लिया है मुझे !

शायद अब लौट ना पाऊं कभी खुशियों के बाजार में, गम ने ऊंची बोली लगाकर खरीद लिया है मुझे !

मेरी शायरी का असर उन पर हो भी तो कैसे हो ? के मैं अहसास लिखता हूँ वो अल्फाज़ पड़ते हैं।

मेरी शायरी का असर उन पर हो भी तो कैसे हो ? के मैं अहसास लिखता हूँ वो अल्फाज़ पड़ते हैं।

फकीर मिजाज हूं खुद को औरों से जुदा रखता हूं, लोग जाते हैं मंदिर-मस्ज़िद मै दिल में खुदा रखता हूं।

फकीर मिजाज हूं खुद को औरों से जुदा रखता हूं, लोग जाते हैं मंदिर-मस्ज़िद मै दिल में खुदा रखता हूं।

बिछड़ के तुझसे किसी दूसरे पर मरना है, ये तजुर्बा भी इसी जिन्दगी में करना है।

बिछड़ के तुझसे किसी दूसरे पर मरना है, ये तजुर्बा भी इसी जिन्दगी में करना है।

मशरूफ रहने का अंदाज तुम्हे तन्हा ना कर दे गालिब, रिश्ते फुरसत के नहीं तवज्जो के मोहताज होते हैं।

मशरूफ रहने का अंदाज तुम्हे तन्हा ना कर दे गालिब, रिश्ते फुरसत के नहीं तवज्जो के मोहताज होते हैं।

ना जाने कितनी अनकही बातें साथ ले जायेंगे, लोग झूठ कहते हैं की, खाली हाथ आये थे, खाली हाथ जायेंगे !

ना जाने कितनी अनकही बातें साथ ले जायेंगे, लोग झूठ कहते हैं की, खाली हाथ आये थे, खाली हाथ जायेंगे !

सिमट गई मेरी गजल भी चंद अलफ़ाजो में, जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं।

सिमट गई मेरी गजल भी चंद अलफ़ाजो में, जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं।

रात ख़ामोशी से चुपचाप है, पर तेरी यादों का शोर बेहिसाब है।

रात ख़ामोशी से चुपचाप है, पर तेरी यादों का शोर बेहिसाब है।

कुछ यूँ जमीं से आसमां हो गया बढ़कर दर्द मेरा बेइंतहां हो गया।

कुछ यूँ जमीं से आसमां हो गया बढ़कर दर्द मेरा बेइंतहां हो गया।

जब अलफ़ाज़ पन्नो पर शोर करने लगे समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए हैं!

जब अलफ़ाज़ पन्नो पर शोर करने लगे समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए हैं!

न कद्र, न अदब, न रहम, न मेहरबानी, फिर भी वो कहते हैं, बेशुमार इश्क़ है !

न कद्र, न अदब, न रहम, न मेहरबानी, फिर भी वो कहते हैं, बेशुमार इश्क़ है !

अब ये न पूछना की मैं अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ, कुछ चुराता हूँ दर्द दुसरो के कुछ अपनी सुनाता हूँ।

अब ये न पूछना की मैं अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ, कुछ चुराता हूँ दर्द दुसरो के कुछ अपनी सुनाता हूँ।

लाख पता बदला, मगर पहुँच ही गया, ये गम भी था कोई डाकिया जिद्दी सा!

लाख पता बदला, मगर पहुँच ही गया, ये गम भी था कोई डाकिया जिद्दी सा!