Ashq Shayari, Status, and Images in Hindi
Best Ashq Status, Shayari, Messages, and Quotes With Images in Hindi.
Best Ashq Status, Shayari, Messages, and Quotes With Images in Hindi.
मेरे अश्क और तेरी यादों का कोई तो रिश्ता जरूर है, कमबख्त जब भी आते है दोनों साथ ही आते है।
अश्क़ ही मेरे दिन हैं अश्क़ ही मेरी रातें अश्कों में ही घुली हैं वो बीती हुयी बातें.
ज़िन्दगी तूने मुझे तोहफ़े बड़े अनमोल दिये हैं अश्क़ जितने भी थे सब नाम मेरे तौल दिये हैं।
अश्क़ अच्छे ही तो हैं मसला ग़म बहाने का अगर है!
हर दिल में दर्द छुपा होता है, बयाँ करने का अंदाज़ जुदा होता है, कोई अश्कों से बहा देता है और,किसी की हंसी में भी दर्द छुपा होता है।
आँखों में कौन आ के इलाही निकल गया, किस की तलाश में मेरे अश्क़ रवां चले।
चराग-ए-इश्क लिए, हम भी फिरे हैं खोजते उनको, जिन्होने इश्क किया और, अश्क का दीदार नही किया।।
आंखों में मेरे इस कदर छाए रहे आंसू,कि आईने में अपनी ही सूरत नहीं मिली।
आज अश्क से आँखों में क्यों हैं आये हुए, गुजर गया है ज़माना तुझे भुलाये हुए।
इश्क में राएगाँ कुछ नही जाता, ये अश्क भी किसी काम आएंगे।
प्यास इतनी है मेरी रूह की गहराई में, अश्क गिरता है तो दामन को जला देता है।
किसी को बताने से मेरे अश्क़ रुक ना पायेंगेमिट जायेगी जिंदगी मगर ग़म धुल न पायेंगे।
वो अश्क बन के मेरी चश्म-ए-तर में रहता है,अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है।
हर बात पर नम हो जाती हैं आँखें मेरी अक्सर, जहाँ भर के अश्क खुदा मेरी पलकों में रख भूला।
अश्क़ अच्छे ही तो हैं मसला ग़म बहाने का अगर है।
छलके थे जो कभी आँखों से मेरी, अश्क़ वो क्यों तेरी आँखों से मिले।
किसी चेहरे पे तबस्सुम न किसी आँख में अश्क़ अजनबी शहर में अब कौन दोबारा जाये।
गिरा पलकों से अश्क़ तो सोचा ना था, रुख़सार पर हाथ तेरे संभाल लेंगे उन्हें।
देखकर तुझे वो मेरे रुखसार पर रुके है मुद्दतो बाद नज़ाकत से अश्क़ उतरे है।
जहाँ-जहाँ क़तरा-ए-अश्क गिरेगा वहां-वहां इक आँख उग आएगी।
ये तड़प ये आंसू मेरे रातों के साथी है बस तेरी यादें मेरे जीने के लिए काफी है।
जिस तरह हंस रहा हूँ मैं पी पी के गरम अश्क यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल जाये।
मेरे अश्क़ तेरी बेरुखी का एहसास हैं, तेरी याद में ये फिर बेगाने हो चले।
फ़िराक की मुसीबत हो या यार के वस्ल की लज़्ज़त, किसी भी हाल में अश्कों का बहना कम नहीं होता।।
मुस्कुराने की आरजू में छुपाया जो दर्द को, अश्क हमारी आंखों में पत्थर के हो गए।
सोचकर बाज़ार गये था कुछ अश्क़ बेचने, हर खरीददार बोला तोहफे बिका नहीं करते।
बेवफ़ाई का मुझे जब भी ख़याल आता है, अश्क़ रुख़सार पर आँखों से निकल जाते हैं।
आँखों से बगावत पे उतर आता है, इक अश्क अक्सर बागी हो जाता है।
जब लफ्ज़ थक गए तो फिर आँखों ने बात की, जो आँखें भी थक गयीं तो अश्कों से बात हुई।
कैसे रोकूँ जो अश्क आँखों से ढल जाते हैं, दिल के कुछ दर्द हैं आँखों से निकल जाते हैं।
ग़मो से उलझकर मुस्कुराना मेरी आदत है, मुझे नाकामियों पे अश्क़ बहाना नहीं आता।
आँख ने अश्क बहाए भी तो सूख जाएंगे, दिल की बस्ती में ग़म की धूप है बहुत।