Baras Shayari, Status, and Images in Hindi

Best Baras Status, Shayari, Messages, and Quotes With Images in Hindi.

Heart Touching Baras Shayari

ज़रा सी मुस्कुराहटों की बात हमने क्या की, वो तो मुझपर बरस पड़े शिकायतों की तरह.

आज तो आसमान से भी ज़ज़्बात नही सम्भाले जा रहे, जमी से मिलने को तरस रहा है, रह-रह कर बरस रहा है.

गुजरे जिधर से तू वो मेरा रास्ता न हो अब के बरस दुआ है तेरा सामना न हो.

दुश्मन भी चख ले तो मुँह मीठा हो जाए... अब के बरस स्वभाव मेरा भी गुड़ जैसा हो जाये.

ऐ बारिश जरा खुलकर बरस, ये क्या तमाशा है, इतनी रिमझिम तो मेरी आँखों से रोज होती है.

जिन पत्थरों को कभी हमने दी थी धड़कने, आज उनको जुबां मिली तो हम पर बरस पड़े.

इस बार बरस जाए ईमान की बारिश, लोगों के ज़मीर पर धूल बहुत है.

पिछले बरस था खौफ की तुझको खो ना दूँ कही, अब के बरस ये दुआ है की तेरा सामना ना हो.

उन्होंने कहा, बहुत बोलते हो, अब क्या बरस जाओगे, हमने कहा, चुप हो गए तो तुम तरस जाओगे.

दीवार का कैलेंडर तो बदलता है हर साल,, ए-ख़ुदा अब के बरस हालात भी तो बदल दे.

कभी तो खुल के बरस अब्रे मेहरबाँ की तरह मेरा वजूद है जलते हुए मकाँ की तरह.

बादल बरस रहे है बाहर, और यादें बरस रही है अंदर.

रंग का खुमार ऐसा बरस रहा है, हर कोई खेलने को होली तरस रहा है.

घिरे हुए थे जो बादल बरस के थम भी गए, एक तेरी याद हैं जो थमती ही नहीँ.

पिछले बरस था खौफ की तुझको खो ना दूँ कही, अब के बरस ये दुआ है की तेरा सामना ना हो.

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 ज़रा सी मुस्कुराहटों की बात हमने क्या की,  वो तो मुझपर  बरस पड़े शिकायतों की तरह.
आज तो आसमान से भी ज़ज़्बात नही सम्भाले जा रहे,  जमी से मिलने को तरस रहा है, रह-रह कर बरस रहा है.
 गुजरे जिधर से तू वो मेरा रास्ता न हो अब के बरस दुआ है तेरा सामना न हो.
 दुश्मन भी चख ले तो मुँह मीठा हो जाए...  अब के बरस स्वभाव मेरा भी गुड़ जैसा हो जाये.
ऐ बारिश जरा खुलकर  बरस, ये क्या तमाशा है, इतनी रिमझिम तो मेरी आँखों से रोज होती है.
जिन पत्थरों को कभी हमने दी थी धड़कने, आज उनको जुबां मिली तो हम पर  बरस पड़े.
 इस बार बरस जाए ईमान की बारिश, लोगों के ज़मीर पर धूल बहुत है.
पिछले बरस था खौफ की तुझको खो ना दूँ कही,  अब के बरस ये दुआ है की तेरा सामना ना हो.
उन्होंने कहा, बहुत बोलते हो, अब क्या  बरस जाओगे,  हमने कहा, चुप हो गए तो तुम तरस जाओगे.
दीवार का कैलेंडर तो बदलता है हर साल,, ए-ख़ुदा अब के  बरस हालात भी तो बदल दे.
कभी तो खुल के  बरस अब्रे मेहरबाँ की तरह मेरा वजूद है जलते हुए मकाँ की तरह.
बादल बरस रहे है बाहर, और यादें बरस रही है अंदर.
रंग का खुमार ऐसा  बरस रहा है,  हर कोई खेलने को होली तरस रहा है.
घिरे हुए थे जो बादल बरस के थम भी गए,  एक तेरी याद हैं जो थमती ही नहीँ.
पिछले बरस था खौफ की तुझको खो ना दूँ कही, अब के  बरस ये दुआ है की तेरा सामना ना हो.