Mausam Shayari, Status, and Images in Hindi

Best Mausam Shayari, Status, Messages, and Quotes With Images in Hindi.

Heart Touching Mausam Shayari

कहीं फिसल ना जाओ ज़रा संभल के रहना, मौसम बारिश का भी है और मुहब्बत का भी।

मौसम का मजा तो गरीब लेते है, अमीरों को गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम का पता ही कहाँ चलता है.

जालिम ये मौसम तुम्हारी याद दिला देता जाने-अनजाने में मुझे रुला देता।

हम कि रूठी हुई रुत को भी मना लेते थे, हम ने देखा ही न था मौसम-ए-हिज्राँ जानाँ।

ये मौसम कितना प्यार है, खूबसूरत कितना यह नजारा है, इश्क़ करने का गुनाह हमारा है, मेरे सीने में धड़कता दिल तुम्हारा है!

यूँ ही शाख से पत्ते गिरा नहीं करते बिछड़ के लोग भी ज्यादा जिया नहीं करते जो आने वाले हैं मौसम उनका एतराम करो जो दिन गुजर गए उनको गिना नहीं करते।

लो बदल गया मौसम, हूबहू तुम्हारी तरह।।

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे।

दीदार हुआ है तुम्हारा तो दिल यादों में तेरी जागने लगा जब से मिला हूं मैं तुझ से ये मौसम सुहाना लगने लगा!

धूप भी खुल के कुछ नहीं कहती, रात ढलती नहीं थम जाती है सर्द मौसम की एक दिक्कत है याद तक जम के बैठ जाती है।

खयालों में वो हमारे साथ है ऐसा कहने में कोई हर्ज नहीं मौसम तो आज भी सुहाना है तन्हाई से बड़ा कोई मर्ज नहीं!

शहर में बिखरी हुई हैं, ज़ख्म-ए-दिल की खुशबुएँ,ऐसा लगता है के दीवानों का मौसम आ गया।

अरे इतना भी मत सताओ मौसम सुहाना है थोड़े नखरे कम करो दूर क्यूँ हो ,थोड़ा पास आजाओ।

मौसम का कुछ ऐसा खुमार है मन करता चीख कर कह दू हमको तुमसे बहुत प्यार है !

उसे छुआ तो दिसम्बर में प्यास लगने लगी, कि उसके ज़िस्म का मौसम तो जून जैसा है।

ये सर्द शामें भी किस कदर ज़ालिम है बहुत सर्द होती है मगर इनमें दिल सुलगता है!

कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास कम आये और कुछ तेरी मिटटी में बगावत भी बहुत थी।

कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख्याल भी दिल को खुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी।

क्यों आग सी लगा के गुमसुम है चाँदनी, सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा।।

बारिश आई थी बादल गरजे थे हर जगह उनके फिजा ए मौसम महकाने के चर्च थे पर एक हम ही नजारों का मजा न ले पाए यहाँ जो तेरे इम्ताहानो से निकल जाने को तरसे थे!

रात गुज़री तो फिर महकती सुबह आई दिल धड़का फिर आपकी याद आई साँसों ने महसूस किया हवा की खुश्बू को जो आपको छूकर हमारे पास आई!

मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला !

खूब हौसला बढाया आँधियों ने धूल का मगर दो बूॅद बारिश ने औकात बता दी!

बदला जो रंग उसने हैरत हुयी मुझे, मौसम को भी मात दे गयी फ़ितरत जनाब की।

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कहीं फिसल ना जाओ ज़रा संभल के रहना, मौसम बारिश का भी है और मुहब्बत का भी।
मौसम का मजा तो गरीब लेते है, अमीरों को गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम का पता ही कहाँ चलता है.
जालिम ये मौसम तुम्हारी याद दिला देता जाने-अनजाने में मुझे रुला देता।
हम कि रूठी हुई रुत को भी मना लेते थे, हम ने देखा ही न था मौसम-ए-हिज्राँ जानाँ।
ये मौसम कितना प्यार है, खूबसूरत कितना यह नजारा है, इश्क़ करने का गुनाह हमारा है, मेरे सीने में धड़कता दिल तुम्हारा है!
यूँ ही शाख से पत्ते गिरा नहीं करते बिछड़ के लोग भी ज्यादा जिया नहीं करते जो आने वाले हैं मौसम उनका एतराम करो जो दिन गुजर गए उनको गिना नहीं करते।
लो बदल गया मौसम, हूबहू तुम्हारी तरह।।
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे।
दीदार हुआ है तुम्हारा तो दिल यादों में तेरी जागने लगा जब से मिला हूं मैं तुझ से ये मौसम सुहाना लगने लगा!
धूप भी खुल के कुछ नहीं कहती, रात ढलती नहीं थम जाती है सर्द मौसम की एक दिक्कत है याद तक जम के बैठ जाती है।
खयालों में वो हमारे साथ है ऐसा कहने में कोई हर्ज नहीं मौसम तो आज भी सुहाना है तन्हाई से बड़ा कोई मर्ज नहीं!
शहर में बिखरी हुई हैं, ज़ख्म-ए-दिल की खुशबुएँ,ऐसा लगता है के दीवानों का मौसम आ गया।
अरे इतना भी मत सताओ मौसम सुहाना है थोड़े नखरे कम करो दूर क्यूँ हो ,थोड़ा पास आजाओ।
मौसम का कुछ ऐसा खुमार है मन करता चीख कर कह दू हमको तुमसे बहुत प्यार है !
उसे छुआ तो दिसम्बर में प्यास लगने लगी, कि उसके ज़िस्म का मौसम तो जून जैसा है।
ये सर्द शामें भी किस कदर ज़ालिम है बहुत सर्द होती है मगर इनमें दिल सुलगता है!
कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास कम आये और कुछ तेरी मिटटी में बगावत भी बहुत थी।
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख्याल भी दिल को खुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी।
क्यों आग सी लगा के गुमसुम है चाँदनी, सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा।।
बारिश आई थी बादल गरजे थे हर जगह उनके फिजा ए मौसम महकाने के चर्च थे पर एक हम ही नजारों का मजा न ले पाए यहाँ जो तेरे इम्ताहानो से निकल जाने को तरसे थे!
रात गुज़री तो फिर महकती सुबह आई दिल धड़का फिर आपकी याद आई साँसों ने महसूस किया हवा की खुश्बू को जो आपको छूकर हमारे पास आई!
मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला !
खूब हौसला बढाया आँधियों ने धूल का मगर दो बूॅद बारिश ने औकात बता दी!
बदला जो रंग उसने हैरत हुयी मुझे, मौसम को भी मात दे गयी फ़ितरत जनाब की।