Zindagi Aur Maut Shayari – जब जीना बोझ बन जाए
ज़िंदगी एक तोहफा है, लेकिन जब ये बोझ बन जाए, तो हर सांस भारी लगने लगती है।
कुछ लम्हे ऐसे होते हैं जो सिर्फ वक़्त नहीं, पूरी ज़िंदगी को तोड़ जाते हैं।
और जब इंसान खुद से भी थक जाए, तब उसकी चुप्पी, उसकी तन्हाई, उसकी पीड़ा बन जाती है — Zindagi Aur Maut Shayari,
जहाँ हर लफ़्ज़ जीने की थकावट और मरने की खामोश आरज़ू को बयान करता है।
मौत डर नहीं लगती, बल्कि कई बार सुकून जैसी लगती है —
क्योंकि जब जज़्बातों की क़द्र ना हो, जब अपने भी अजनबी बन जाएं,
तो इंसान बस जीता है, मगर ज़िंदा नहीं रहता।
इन पंक्तियों में वही तड़प छुपी होती है, जहाँ इंसान अपने दर्द को लफ़्ज़ों में बदलकर कहता है —
"अब मौत से मुलाक़ात बाकी है, क्योंकि ज़िंदगी तो कब की रूठ गई है।"
इस ब्लॉग में हम लाए हैं सबसे भावुक, गहरी और दिल को चीर देने वाली Zindagi Aur Maut Shayari in Hindi,
जो उन लोगों के लिए हैं जो कभी ना कभी खुद से थक चुके हैं, और अपने जज़्बातों को आवाज़ देना चाहते हैं।
क्योंकि हर मुस्कान के पीछे हमेशा एक कहानी होती है — और हर कहानी में कहीं न कहीं मौत की खामोश दस्तक।