मोहब्बत का ख़ुमार उतरा तो ये एहसास हुआ जिसे मन्ज़िल समझते थे वो तो बेमक़सद रास्ता निकला। - Poetry Shayari

मोहब्बत का ख़ुमार उतरा तो ये एहसास हुआ जिसे मन्ज़िल समझते थे वो तो बेमक़सद रास्ता निकला।

Poetry Shayari