Insaniyat Shayari, Status, and Images in Hindi

Best Insaniyat Shayari, Status, Messages, and Quotes With Images in Hindi.

Heart Touching Insaniyat Shayari

इंसान ही आता है काम इंसान के मददगार कोई फरिश्ता नही होता यह सच्चाई जान ले ऐ दोस्त इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही होता !

इसीलिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं।

जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-गम नहीं होते, वो इंसान भी हरगिज पत्थरों से कम नहीं होते।

बुरा बुरे के अलावा भला भी होता है हर आदमी में कोई दूसरा भी होता है

नई मंज़िल नया जादू उजाला ही उजाला दूर तक इंसानियत का बोल-बाला

मन की ईर्ष्या हमे कामयाबी से दूर रखती है आखिर इंसानियत ही इंसान को जिंदा रखती है !

तेरा प्यार पाने के लिए मैंने कितना इंतज़ार किया, और उस इंतज़ार में न जाने कितनों से प्यार किया।

ना वह हिंदू देखता है ना कभी मुसलमान देखता है कौन सा साथी है वह हर शख्स मे बस इंसान देता है !

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है

आज लाखों डिग्रीयां हो गई है कॉलेजों में मगर इंसानियत का पाठ अब कोई नहीं पढ़ता।

हो अगर जिमे पर अपने उस कर्ज को जरूर जुदा करना जिंदगी मे अपने इंसानियत का फर्ज जरूर अदा करना !

अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई, तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं।

इंसानियत की राह पर तुम्हे चलना होगा ठोकरे खाकर ही ​भी तुम्हे संभलना होग.

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओह दे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला

अंधो की दुनिया मे गूंगी जुबान हो गई बहरे लोग है यहां तभी तो इंसानियत तबाह हो गई !

इंसान ही आता है काम इंसान के मददगार कोई फरिश्ता नही होता यह सच्चाई जान ले ऐ दोस्त इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही होता.

बहुत से कागज़ मिल जाते हैं एक खासियत बेच कर, लोग पैसा कमाते हैं आज कल इंसानियत बेच कर।

इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ।

मेहनत के प्रति मन मै अपने श्रद्धा हमेशा बनाए रखना जिंदगी मे बस इंसानियत को ही अपना उसूल बनाए रखना !

बनाया ऐ ‘ज़फ़र’ ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर मलक को देव को जिन को परी को हूर ओ ग़िल्माँ को

इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है !

हर आदमी होते हैं दस बीस आदमी जिसको भी देखना कई बार देखना।

इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहा साए तो है आदमी के मगर आदमी कहा !

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते है मै तो आदमी हूं मेरा ऐतबार मत करना !

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते हैं, मैं तो आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना।

खुदा न बदल सका आदमी को आज भी यारों, और आदमी ने सैकड़ो खुदा बदल डाले।

इंसानियत दिल मे होती है हैसियत मे नही उपरवाला कर्म देखता है वसीयत नही !

आइना कोई ऐसा बना दे ऐ खुदा जो इंसान का चेहरा नही किरदार दिखा दे !

देखें करीब से तो भी अच्छा दिखाई दे, इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे।

इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ, साए तो हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ?

निभाते नही है वह लोग आजकल वरना इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही !

चंद सिक्कों में बिकता है यहाँ इंसान का ज़मीर, कौन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है।

Insaniyat Shayari Images - Download and Share

इंसान ही आता है काम इंसान के मददगार कोई फरिश्ता नही होता यह सच्चाई जान ले ऐ दोस्त इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही होता !
इसीलिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं।
जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-गम नहीं होते, वो इंसान भी हरगिज पत्थरों से कम नहीं होते।
बुरा बुरे के अलावा भला भी होता है हर आदमी में कोई दूसरा भी होता है
नई मंज़िल नया जादू उजाला ही उजाला दूर तक इंसानियत का बोल-बाला
मन की ईर्ष्या हमे कामयाबी से दूर रखती है आखिर इंसानियत ही इंसान को जिंदा रखती है !
तेरा प्यार पाने के लिए मैंने कितना इंतज़ार किया, और उस इंतज़ार में न जाने कितनों से प्यार किया।
ना वह हिंदू देखता है ना कभी मुसलमान देखता है कौन सा साथी है वह हर शख्स मे बस इंसान देता है !
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है
आज लाखों डिग्रीयां हो गई है कॉलेजों में मगर इंसानियत का पाठ अब कोई नहीं पढ़ता।
हो अगर जिमे पर अपने उस कर्ज को जरूर जुदा करना जिंदगी मे अपने इंसानियत का फर्ज जरूर अदा करना !
अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई, तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं।
इंसानियत की राह पर तुम्हे चलना होगा ठोकरे खाकर ही ​भी तुम्हे संभलना होग.
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओह दे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
अंधो की दुनिया मे गूंगी जुबान हो गई बहरे लोग है यहां तभी तो इंसानियत तबाह हो गई !
इंसान ही आता है काम इंसान के
मददगार कोई फरिश्ता नही होता
यह सच्चाई जान ले ऐ दोस्त इंसानियत
से बड़ा कोई रिश्ता नही होता.
बहुत से कागज़ मिल जाते हैं एक खासियत बेच कर, लोग पैसा कमाते हैं आज कल इंसानियत बेच कर।
इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ।
मेहनत के प्रति मन मै अपने श्रद्धा हमेशा बनाए रखना जिंदगी मे बस इंसानियत को ही अपना उसूल बनाए रखना !
बनाया ऐ ‘ज़फ़र’ ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर मलक को देव को जिन को परी को हूर ओ ग़िल्माँ को
इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है !
हर आदमी होते हैं दस बीस आदमी जिसको भी देखना कई बार देखना।
इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहा साए तो है आदमी के मगर आदमी कहा !
मेरी जबान के मौसम बदलते रहते है मै तो आदमी हूं मेरा ऐतबार मत करना !
मेरी जबान के मौसम बदलते रहते हैं, मैं तो आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना।
खुदा न बदल सका आदमी को आज भी यारों, और आदमी ने सैकड़ो खुदा बदल डाले।
इंसानियत दिल मे होती है हैसियत मे नही उपरवाला कर्म देखता है वसीयत नही !
आइना कोई ऐसा बना दे ऐ खुदा जो इंसान का चेहरा नही किरदार दिखा दे !
देखें करीब से तो भी अच्छा दिखाई दे, इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे।
इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ, साए तो हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ?
निभाते नही है वह लोग आजकल वरना इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही !
चंद सिक्कों में बिकता है यहाँ इंसान का ज़मीर, कौन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है।