Ishq Wali Shayari with Images – तस्वीरों में बसी मोहब्बत की दुनिया

इश्क़ कोई लफ्ज़ नहीं होता, ये एक एहसास होता है — जो बिना कहे भी सब कुछ कह जाता है।
जब दिल किसी के लिए धड़कने लगे, और रूह किसी के बिना अधूरी लगे, तब जो जज़्बात निकलते हैं, वही बनते हैं Ishq Wali Shayari
और जब उन जज़्बातों को तस्वीरों का साथ मिल जाए, तो वो शायरी सिर्फ पढ़ी नहीं जाती — महसूस की जाती है

हर मोहब्बत की कहानी में कुछ अधूरी बातें होती हैं, कुछ बेइंतहा लम्हें और कुछ ऐसी यादें, जो उम्र भर साथ चलती हैं।
इन्हीं अहसासों को जब आप एक खूबसूरत इमेज के साथ शेयर करते हैं, तो वो बस एक पोस्ट नहीं रहती — वो आपकी मोहब्बत की जुबान बन जाती है।
कभी किसी की मुस्कान में इश्क़ छुपा होता है, तो कभी किसी की खामोशी में पूरी दुनिया।

इस ब्लॉग में हम लाए हैं बेहद खास Ishq Wali Shayari with Images,
जहाँ हर तस्वीर एक कहानी कहती है, और हर शायरी किसी के दिल की आवाज़ बन जाती है।
क्योंकि जब इश्क़ अल्फ़ाज़ों में ढलता है और तस्वीरों में बसता है, तब मोहब्बत वाकई अमर हो जाती है।

थोड़ी जल्दी आया करो मिलने के लिए , हमारा दिल नहीं बना तुमसे दूर रहने के लिए।

थोड़ी जल्दी आया करो मिलने के लिए , हमारा दिल नहीं बना तुमसे दूर रहने के लिए।

महफिलों में भी वो और तन्हाइयों में भी वो रहा करती है , क्या इश्क़ की हर घडी में ऐसे ही मोहब्बत रहा करती है।

महफिलों में भी वो और तन्हाइयों में भी वो रहा करती है , क्या इश्क़ की हर घडी में ऐसे ही मोहब्बत रहा करती है।

आना तुम्हारा बहार ले आता है , मेरा मन तब मेरा ही ना रह पाता है।

आना तुम्हारा बहार ले आता है , मेरा मन तब मेरा ही ना रह पाता है।

चाँद मेरी ज़िंदगी में तब लग जाएँगे, जब मेरे एहसासों के साथ-साथ उनके ज़ज़्बात भी जग जाएंगे।

चाँद मेरी ज़िंदगी में तब लग जाएँगे, जब मेरे एहसासों के साथ-साथ उनके ज़ज़्बात भी जग जाएंगे।

चलते थे इस जहाँ में कभी... सीना तान के हम, ये कम्बख्त इश्क़ क्या हुआ घुटनो पे आ गए हम।

चलते थे इस जहाँ में कभी... सीना तान के हम, ये कम्बख्त इश्क़ क्या हुआ घुटनो पे आ गए हम।

घुटन सी होने लगी है, इश्क़ जताते हुए, मैं खुद से रूठ जाता हूँ, तुम्हे मनाते हुए।

घुटन सी होने लगी है, इश्क़ जताते हुए, मैं खुद से रूठ जाता हूँ, तुम्हे मनाते हुए।

राख से भी आएगी खुशबू मोहब्बत की , मेरे खत तुम सरेआम जलाया ना करो।

राख से भी आएगी खुशबू मोहब्बत की , मेरे खत तुम सरेआम जलाया ना करो।

इस कदर ये इश्क़ ऐसी साजिशें रचता है , कि मेरे चेहरे में उसका चेहरा दिखता है।

इस कदर ये इश्क़ ऐसी साजिशें रचता है , कि मेरे चेहरे में उसका चेहरा दिखता है।

चलते तो हैं वो साथ मेरे पर अंदाज देखिए, जैसे की इश्क करके वो एहसान कर रहें है।

चलते तो हैं वो साथ मेरे पर अंदाज देखिए, जैसे की इश्क करके वो एहसान कर रहें है।

हर वक़्त फ़िराक में रहता है , ये मेरा इश्क़ तुमसे मिलने को कहता है।

हर वक़्त फ़िराक में रहता है , ये मेरा इश्क़ तुमसे मिलने को कहता है।

बरसों से कायम है इश्क़ अपने उसूलों पर, ये कल भी तकलीफ देता था और ये आज भी तकलीफ देता है।

बरसों से कायम है इश्क़ अपने उसूलों पर, ये कल भी तकलीफ देता था और ये आज भी तकलीफ देता है।

जितना तुम्हारा दीदार होता है , मुझे तुमसे इश्क़ उतनी बार होता है।

जितना तुम्हारा दीदार होता है , मुझे तुमसे इश्क़ उतनी बार होता है।

राह यूँ ही नामुक्क्मल, ग़म-ए-इश्क का फ़साना, मुझ को नींद नहीं आयी, सो गया ज़माना।

राह यूँ ही नामुक्क्मल, ग़म-ए-इश्क का फ़साना, मुझ को नींद नहीं आयी, सो गया ज़माना।

लगता है इश्क़ अपने  उसूलों पे कायम ही रहेगा , ये कल भी तकलीफ देता था और आगे भी तकलीफ देगा।

लगता है इश्क़ अपने उसूलों पे कायम ही रहेगा , ये कल भी तकलीफ देता था और आगे भी तकलीफ देगा।

जूनून-ए-इश्क, नहीं रास आया हमें, जब भी देखा आइना, अक्स उनका ही नजर आया हमें।

जूनून-ए-इश्क, नहीं रास आया हमें, जब भी देखा आइना, अक्स उनका ही नजर आया हमें।

इतनी गहराइयो में जा पहुचा है इश्क़ मेरा देखना पैमाना भी छोटा पड जाएगा तेरा।

इतनी गहराइयो में जा पहुचा है इश्क़ मेरा देखना पैमाना भी छोटा पड जाएगा तेरा।

तकिये के नीचे दबा के रखे हैँ तुम्हारे ख्याल, एक तेरा अक्स, एक तेरा इश्क़ , ढेरो सवाल और तेरा इंतज़ार।

तकिये के नीचे दबा के रखे हैँ तुम्हारे ख्याल, एक तेरा अक्स, एक तेरा इश्क़ , ढेरो सवाल और तेरा इंतज़ार।

क़र्ज़ चढ़ गया है अब तुम पर मेरे प्यार का , तो सवाल ही नहीं उठता तुम्हारे इंकार का।

क़र्ज़ चढ़ गया है अब तुम पर मेरे प्यार का , तो सवाल ही नहीं उठता तुम्हारे इंकार का।

देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहब, सूखे पत्ते को इश्क हुआ है बहती हवा से।

देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहब, सूखे पत्ते को इश्क हुआ है बहती हवा से।

जब होना होता है तब होके रहता है , ये इश्क़ है इस पर किसका ज़ोर चलता है।

जब होना होता है तब होके रहता है , ये इश्क़ है इस पर किसका ज़ोर चलता है।

हर दिन याद कर हाज़िरी लगा देते है , तुम्हारे दिल में पल रहे हमारे इश्क़ की।

हर दिन याद कर हाज़िरी लगा देते है , तुम्हारे दिल में पल रहे हमारे इश्क़ की।

क्या हसीन इत्तेफाक था तेरी गली में आने का, किसी काम से आये थे और किसी काम के ना रहे।

क्या हसीन इत्तेफाक था तेरी गली में आने का, किसी काम से आये थे और किसी काम के ना रहे।

वो जितना मुझे पलके उठा देख लेते है , उतना ही मैं नीलम हो जाता हूँ।

वो जितना मुझे पलके उठा देख लेते है , उतना ही मैं नीलम हो जाता हूँ।

इश्क ने कब इजाजत ली है आशिकों से, वो होता है और होकर ही रहता है।

इश्क ने कब इजाजत ली है आशिकों से, वो होता है और होकर ही रहता है।

तुझसे ना मिलने की तड़प कुछ ऐसी है कि , जैसे मेरी सांस में सांस ना हो।

तुझसे ना मिलने की तड़प कुछ ऐसी है कि , जैसे मेरी सांस में सांस ना हो।

यकीन है मुझ पर तो बेपनाह इश्क कर, वफाए मेरी जवाब देगी तू सवाल तो कर।

यकीन है मुझ पर तो बेपनाह इश्क कर, वफाए मेरी जवाब देगी तू सवाल तो कर।

तुम हकीकत-ऐ-इश्क़ हो या फरेब मेरी आँखों का , ना दिल से निकलते हो ना मेरी ज़िंदगी में आते हो।

तुम हकीकत-ऐ-इश्क़ हो या फरेब मेरी आँखों का , ना दिल से निकलते हो ना मेरी ज़िंदगी में आते हो।

बहुत थे मेरे भी इस दुनिया में अपने, फिर हुआ इश्क और हम अकेले हो गए।

बहुत थे मेरे भी इस दुनिया में अपने, फिर हुआ इश्क और हम अकेले हो गए।

वो कहते है कि भूल जाओ पुरानी बातो को , कोई उसे समझाए कि इश्क़ पुराना नहीं होता ,

वो कहते है कि भूल जाओ पुरानी बातो को , कोई उसे समझाए कि इश्क़ पुराना नहीं होता ,

इश्क को भी इश्क हो तो फिर मैं देखूं इश्क को भी, कैसे तड़पे कैसे रोये, इश्क अपने इश्क में।

इश्क को भी इश्क हो तो फिर मैं देखूं इश्क को भी, कैसे तड़पे कैसे रोये, इश्क अपने इश्क में।

इश्क़ का समुन्दर भी क्या समुन्दर, जो डूब गया वो इश्क़ और जो बच गया वो दीवाना।

इश्क़ का समुन्दर भी क्या समुन्दर, जो डूब गया वो इश्क़ और जो बच गया वो दीवाना।

बिन जले शमा के परवाना जल नही सकता, क्या करे इश्क अगर हुस्न की सबकत ना करे।

बिन जले शमा के परवाना जल नही सकता, क्या करे इश्क अगर हुस्न की सबकत ना करे।

इश्क़ का रोग कुछ ऐसा लगा है , कि लोग क्या कहेंगे अब मतलब नहीं रहा है।

इश्क़ का रोग कुछ ऐसा लगा है , कि लोग क्या कहेंगे अब मतलब नहीं रहा है।

चाहे कितनी भी तकलीफ दे इश्क़, पर सुकून भी इश्क़ से ही आता है।

चाहे कितनी भी तकलीफ दे इश्क़, पर सुकून भी इश्क़ से ही आता है।