Bewafaai Aur Sharab Shayari – बेवफाई का इलाज सिर्फ़ जाम

जब मोहब्बत सच्ची हो और बदले में बेवफ़ाई मिले, तो दिल सिर्फ़ टूटता नहीं… बिखर जाता है।
वो वादे जो कभी आँखों में बसा करते थे, अब धुंधली यादों में बदल जाते हैं।
और तब राहत सिर्फ़ एक जाम में मिलती है — जो ना ज़ख्मों को भरता है, ना दर्द को मिटाता है, लेकिन थोड़ी देर के लिए सब कुछ भुला देता है।

Bewafaai Aur Sharab Shayari उन दिलों की दास्तान है जो मोहब्बत में तो वफ़ादार थे, लेकिन बदले में तन्हाई मिली।
जब कोई अपना पराया हो जाए, तो अल्फ़ाज़ बगावत नहीं करते — वो शायरी बनकर छलक उठते हैं,
और हर घूंट के साथ वो बेवफ़ा चेहरा एक बार फिर याद आता है… और फिर भूलने के लिए एक और जाम भरना पड़ता है।

इस ब्लॉग में हम लाए हैं सबसे गहरे दर्द से लिखी गई Sharab Aur Bewafai Shayari in Hindi,
जो उस एहसास को बयां करती है, जब मोहब्बत हार जाती है और जाम जीत जाते हैं।
क्योंकि जब दिल की दीवारें गिरती हैं, तो शायरी ही आख़िरी सहारा और शराब ही आख़िरी साथी बन जाती है।

ना कर इतना गुरुर अपने नशे पर शराब तुझसे ज्यादा नशा रखती हैं आँखे किसी की!

ना कर इतना गुरुर अपने नशे पर शराब तुझसे ज्यादा नशा रखती हैं आँखे किसी की!

बस एक इतनी वजह हैं मेरे न पीने की शराब हैं वही साकी मगर गिलास नहीं!

बस एक इतनी वजह हैं मेरे न पीने की शराब हैं वही साकी मगर गिलास नहीं!

पीता हूँ जितनी उतनी ही बढती हैं प्यास साकी ने जैसे प्यास मिला दी हो शराब में!

पीता हूँ जितनी उतनी ही बढती हैं प्यास साकी ने जैसे प्यास मिला दी हो शराब में!

हम इंतजार करे हमको इतनी तब नहीं मिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं!

हम इंतजार करे हमको इतनी तब नहीं मिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं!

ग़मे-दुनिया में ग़मे-यार भी शामिल कर लो, नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें।

ग़मे-दुनिया में ग़मे-यार भी शामिल कर लो, नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें।

शिकन न डाल माथे पर शराब देते हुए ये मुस्कुराती हुई चीज मुस्कुरा के पिला!

शिकन न डाल माथे पर शराब देते हुए ये मुस्कुराती हुई चीज मुस्कुरा के पिला!

दुनिया में सबसे कडवी चीज इंसान की जुबान हैं दारू और करेला तो खामखां बदनाम हैं!

दुनिया में सबसे कडवी चीज इंसान की जुबान हैं दारू और करेला तो खामखां बदनाम हैं!

निगाहे-मस्त से मुझको पिलाये जा साकी, हसीं निगाह भी जामे-शराब होती है।

निगाहे-मस्त से मुझको पिलाये जा साकी, हसीं निगाह भी जामे-शराब होती है।

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई आओं कहीं शराब पियें रात हो गई!

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई आओं कहीं शराब पियें रात हो गई!

एक पल में ले गई मेरे सारे गम खरीद कर कितनी अमीर होती हैं ये बोतल शराब की!

एक पल में ले गई मेरे सारे गम खरीद कर कितनी अमीर होती हैं ये बोतल शराब की!

रात हम पिये हुए थे मगर, आप की आँखें भी शराबी थी, फिर हमारे खराब होने में, आप ही कहिए क्या खराबी थी।

रात हम पिये हुए थे मगर, आप की आँखें भी शराबी थी, फिर हमारे खराब होने में, आप ही कहिए क्या खराबी थी।

नशा तब दोगुना होता है जनाब, जब जाम भी छलके और आँख भी छलके।

नशा तब दोगुना होता है जनाब, जब जाम भी छलके और आँख भी छलके।

अगर गम मोहब्बत पे हावी न होता खुदा की कसम मैं शराबी ना होता!

अगर गम मोहब्बत पे हावी न होता खुदा की कसम मैं शराबी ना होता!

तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है, खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है, फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ टूटे दिल वालों, यहाँ दर्द-ए-दिल की दवा पिलाई जाती है।

तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है, खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है, फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ टूटे दिल वालों, यहाँ दर्द-ए-दिल की दवा पिलाई जाती है।

छीनकर हाथों से जाम वो इस अंदाज़ से बोली, कमी क्या है इन होठों में जो तुम शराब पीते हो।

छीनकर हाथों से जाम वो इस अंदाज़ से बोली, कमी क्या है इन होठों में जो तुम शराब पीते हो।

मयखाने की इज्ज़त का सवाल था हुज़ूर, सामने से गुजरे तो, थोड़ा सा लड़खड़ा दिए।

मयखाने की इज्ज़त का सवाल था हुज़ूर, सामने से गुजरे तो, थोड़ा सा लड़खड़ा दिए।

देखा किये वह मस्त निगाहों से बार-बार, जब तक शराब आई कई दौर चल गये।

देखा किये वह मस्त निगाहों से बार-बार, जब तक शराब आई कई दौर चल गये।

मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर हैं करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात!

मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर हैं करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात!

लोग अच्छी ही चीजों को यहाँ ख़राब कहते हैं, दवा है हज़ार ग़मों की उसे शराब कहते हैं।

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आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़' जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए.

आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़' जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए.

शराब के भी अनेक रंग हैं, कोई पीता है आबाद होकर, तो कोई पीता है बर्बाद होकर

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झूठ कहते हैं लोग कि, शराब ग़मों को हल्का कर देती है, मैंने अक्सर देखा है लोगों को नशे में रोते हुए!

झूठ कहते हैं लोग कि, शराब ग़मों को हल्का कर देती है, मैंने अक्सर देखा है लोगों को नशे में रोते हुए!

आज इतनी पिला साकी के मैकदा डुब जाए तैरती फिरे शराब में कश्ती फकीर की !

आज इतनी पिला साकी के मैकदा डुब जाए तैरती फिरे शराब में कश्ती फकीर की !