ना कर इतना गुरुर अपने नशे पर शराब तुझसे ज्यादा नशा रखती हैं आँखे किसी की!
बस एक इतनी वजह हैं मेरे न पीने की शराब हैं वही साकी मगर गिलास नहीं!
पीता हूँ जितनी उतनी ही बढती हैं प्यास साकी ने जैसे प्यास मिला दी हो शराब में!
हम इंतजार करे हमको इतनी तब नहीं मिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं!
ग़मे-दुनिया में ग़मे-यार भी शामिल कर लो, नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें।
शिकन न डाल माथे पर शराब देते हुए ये मुस्कुराती हुई चीज मुस्कुरा के पिला!
दुनिया में सबसे कडवी चीज इंसान की जुबान हैं दारू और करेला तो खामखां बदनाम हैं!
निगाहे-मस्त से मुझको पिलाये जा साकी, हसीं निगाह भी जामे-शराब होती है।
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई आओं कहीं शराब पियें रात हो गई!
एक पल में ले गई मेरे सारे गम खरीद कर कितनी अमीर होती हैं ये बोतल शराब की!
रात हम पिये हुए थे मगर, आप की आँखें भी शराबी थी, फिर हमारे खराब होने में, आप ही कहिए क्या खराबी थी।
नशा तब दोगुना होता है जनाब, जब जाम भी छलके और आँख भी छलके।
अगर गम मोहब्बत पे हावी न होता खुदा की कसम मैं शराबी ना होता!
तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है, खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है, फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ टूटे दिल वालों, यहाँ दर्द-ए-दिल की दवा पिलाई जाती है।
छीनकर हाथों से जाम वो इस अंदाज़ से बोली, कमी क्या है इन होठों में जो तुम शराब पीते हो।
मयखाने की इज्ज़त का सवाल था हुज़ूर, सामने से गुजरे तो, थोड़ा सा लड़खड़ा दिए।
देखा किये वह मस्त निगाहों से बार-बार, जब तक शराब आई कई दौर चल गये।
मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर हैं करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात!
लोग अच्छी ही चीजों को यहाँ ख़राब कहते हैं, दवा है हज़ार ग़मों की उसे शराब कहते हैं।
आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़' जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए.
शराब के भी अनेक रंग हैं, कोई पीता है आबाद होकर, तो कोई पीता है बर्बाद होकर
झूठ कहते हैं लोग कि, शराब ग़मों को हल्का कर देती है, मैंने अक्सर देखा है लोगों को नशे में रोते हुए!
आज इतनी पिला साकी के मैकदा डुब जाए तैरती फिरे शराब में कश्ती फकीर की !