वो आज दुल्हन बन के खड़ी है मेरी जान आज मेरी दुश्मन वन के खड़ी हैं - Poetry Shayari

वो आज दुल्हन बन के खड़ी है मेरी जान आज मेरी दुश्मन वन के खड़ी हैं

Poetry Shayari