तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ, के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले।
ए मेरे दिल, कभी तीसरे की उम्मीद भी ना किया कर, सिर्फ तुम और ''मैं'' ही हैं इस दश्त-ए-तन्हाई में!
अब तो याद भी उसकी आती नहीं, कितनी तनहा हो गई तन्हाईयाँ ।
इस तरह हम सुकून को महफूज़ कर लेते हैं, जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं।
मुश्किल की घडी जहन में उनका नाम आता है जमाना छोड़ देता है जब भी वो काम आता है।
मुझे तन्हाई की आदत है, मेरी बात छोडो, तुम "बताओ" कैसी हो ?
तेरे बिना ये कैसे गुजरेंगी मेरी रातें, तन्हाई का गम कैसे सहेंगी ये रातें, बहुत लम्बी हैं ये घड़ियाँ इंतज़ार की, करवट बदल-बदल के कटेंगी ये रातें।
ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में तिरी याद आँखें दुखाने लगी "आदिल मंसूरी"।
तुम नहीं अब जहाँ में तनहा से हैं हम यहाँ बुला लो मुझे अपने जहाँ में दे न पाव तन्हाई का इम्तेहान।
तन्हाई से तँग आकर हम मोहब्बत की तलाश मैं निकले थे. लेकिन मोहब्बत ऐसी मिली कि तनहा कर गयी।
दिल की तन्हाई को Post बना लेते है दर्द जब हद से गुजरता हैं, तो Facebook चला लेते हैं।
चंद लम्हों के लिए एक मुलाक़ात रही, फिर ना वो तू, ना वो मैं, ना वो रात रही।
तन्हाई में मुस्कुराना भी इश्क़ है और इस बात को सबसे छुपाना भी इश्क़ है।
अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात, खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?
किस से कहु अपनी तन्हाई का आलम. लोग चहरें के हसी देख, बहुत खुश समझते हैं!
यादों की अर्थी तन्हाई का क़फ़न गम का तकिया, इंतज़ार तो सब हो गया बस नींद का आना बाक़ी हैं।
बिखरे अरमान, भीगी पलकें और ये तन्हाई, कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं।
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है, ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है इफ़्तिख़ार आरिफ़।
जो रूह की तन्हाई होती हैं ना, उसको कोई ख़त्म नही कर सकता।
रिश्ते छूट रहे हैं लोगों को परवाह नहीं है मोबाइलों के अलावा कहीं निगाहें नहीं है सामने बैठकर घंटों मोन रहते है यूँ तो रिप्लाई आये ना तो चेहरे पे लाह नहीं है।
इस तन्हाई के आलम में मै और मेरा तन्हा दिल, भूल नहीं पाया है लम्हा वो तेरी अंगड़ाई का।
लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक, इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।
इश्क़ के नशे डूबे तो ये जाना हमने फ़राज़, की दर्द में तन्हाई नहीं होती.तन्हाई में दर्द होता है!
कभी जो थक जाओ तुम दुनिया की महफिलों से, हमें आवाज दे देना हम अकसर अकेले होते हें।
कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाई, कोई आ कर हमको जरा हँसा दे, मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना, बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।
कुछ देर बैठी रही पास, और फिर उठ कर चली गई गुरुर तो देखो तन्हाई का ये भी बेवफ़ा हो कर चली गई.
वो भी बहुत अकेला है शायद मेरी तरह, उस को भी कोई चाहने वाला नहीं मिला।
इश्क़ के नशे डूबे तो ये जाना हमने फ़राज़, की दर्द में तन्हाई नहीं होती.तन्हाई में दर्द होता है।
वक़्त बहुत कुछ चीन लेता है खैर मेरी तोह सिर्फ मुस्कराहट खुशियां और रातों की नींद थी।
इस तन्हाई का हम पे बड़ा एहसान है साहब, न देती ये साथ अपना तो जाने हम किधर जाते।
लोग आज भी तेरे बारे में पूछते है, की कहाँ है वो, मैं बस दिल पर हाथ रख देता हूँ!
बिछड़ कर अचानक मुझे चौंका दिया उस ने अनसुलझे खयालों में उलझा दिया उस ने जिस की खुशीयाँ थी "शामील" मेरी दुआओं में तन्हाई का आज मुझे तोहफा दिया उस ने!