Heart Touching Tareef Shayari
हुस्न का बिखरा शबाब यहां हर तरफ बंद करता हूं नजर तो दिल हो जाए खराब !
इज़्ज़त और तारीफ़ मांगी नहीं जाती, इसे ईमानदारी से कमाना पड़ता है।
क्या लिखों तेरी तारीफ-ए-सूरत में यार अलफ़ाज़ काम पद रहे है तेरी मासूमियत देखकर।
नही भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है !
ममता की तारीफ न पूछिए साहब, वक्त आने पर चिड़िया सांप से लड़ जाती है।
सब तारीफ कर रहे थे अपने प्यार की हम नींद का बहाना दे कर महफ़िल छोड़ आये।
ऐसी कोई तारीफ ही नही है जो तुम्हारी तारीफ कर सके !
गिरता जाता है चहरे से नकाब अहिस्ता-अहिस्ता, निकलता आ रहा है आफ़ताब अहिस्ता-अहिस्ता।
जो लव्स तेरी तारीफ करते नहीं थकते थे आज वो तेरा नाम तक नहीं लेना चाहते है।
चांद को बहुत गुरूर था उसकी खूबसूरती पर तोड़ दिया हमने तुम्हारी तस्वीर दिखा कर !
तुमको देखा तो मुझे मोहब्बत समझ में आयी, वरना औरों से ही तुम्हारी तारीफ सुना करते थे।
सब हे तारीफ करते है मेरी शायरी कभी कोई नहीं सुनता मेरे लफ़्ज़ों की सिसकियाँ।
लाजवाब हुस्न रंगीन मौसम सांझ है तेरी चाल मे तू परी है जन्नत से उतरी हम पागल है हर हाल मे !
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा, लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
तारीफ अपने आप की करना फ़िज़ूल है खुशबू खुद बता देती है कौन सा फूल है।
दुनिया मे तेरा हुस्न मेरी जान सलामत रहे सदियो तक जमी पे तेरी कयामत रहे !
हम आज उसकी मासूमियत के कायल हो गए, उसकी सिर्फ एक नजर से ही घायल हो गए।
उसका चाहा तो मोहब्बत की तारीफ नज़र आयी, वार्ना इस शब्द की तो सिर्फ तारीफ सुना करते थे।
तेरे हुस्न को परदे कि जरुरत क्या है कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद !
मेरी आँखों को जब उनका दीदार हो जाता है, दिन कोई भी हो मेरे लिए त्यौहार हो जाता है।
तेरी तरफ जो नजर उठी वो तापिशे हुस्न से जल गयी तुझे देख सकता नहीं कोई तेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं.
उनकी एक मुस्कराहट ने हमारे होश उड़ा दिए हम होश मे आ ही रहे थे की वो फिर मुस्कुरा दिए !
कैसे बयान करे सादगी अपने महबूब की पर्दा हमी से था मगर नजर भी हमी पे थी !
काटे नही कटते लम्हे इन्तजार के नजरे बिछाएं बैठे है रास्ते पे यार के !
मुझे दुनिया की ईदो से भला क्या वास्ता यारो हमारा चाँद दिख जाये हमारी ईद हो जाये !
अपना इक-इक वादा इस तरह निभाना है तुम को मेरे आँगन मे चाँद बन के आना है !
वो तारीफे करते रहते है हम शायरी करते रहते है वो कुछ कहते नही ओर हम इंतज़ार करते रहते है !
आसमा मे खलबली है सब यही पूछ रहे हैं कौन फिरता है ज़मी पे चाँद सा चेहरा लिए !
मेरे मिजाज की क्या बात करते हो साहब कभी-कभी मै खुद को भी जहर लगती हूं !
हुस्न वालो को संवरने की क्या जरूरत है वो तो सादगी मे भी क़यामत की अदा रखते है !
एक उम्र है जो तेरे बगैर गुजारनी है और एक लम्हा है जो तेरे बगैर गुज़रता नही !
आँखो मे आँसुओ की लकीर बन गई जैसी चाहिए थी वैसी तकदीर बन गई !