Dillagi Shayari, Status, and Images in Hindi
Best Dillagi Shayari, Status, Messages, and Quotes With Images in Hindi.
Best Dillagi Shayari, Status, Messages, and Quotes With Images in Hindi.
नयी यादों की जरुरत नहीं पड़ती उन्हें, जिनकी पुराने ज्खमों के साथ दिल्लगी हो।
दिल्लगी करना जरा देख के करना कहीं तुम्हारी दिल्लगी में कहीं देर न हो जाये!
न जाने क्यों तुम्हें अपना मानता हूँ मैं, दिल्लगी तो न थी ये जानता हूँ मैं।
मज़ा आ रहा है दिलबर से दिल्लगी में, नज़रे भी हमी पे है और पर्दा भी हमी से है!
मोहब्बत के नाम पर ज़माने में दिल्लगी करते हैं लोग, रूह से कोई वास्ता नहीं यहाँ जिस्म की बंदगी करते हैं लोग।
दिल तोडना किसी का ये जिदंगी नही इबादत थी मेरी कोई दिल्लगी नही!
अभी तक तो बस दिल्लगी पर लिखता हूं, कोई करे मोहब्बत तो पल पल पर लिखूं।
जिसे जानता नहीं वो शख्स क्यों अपना सा लगता है, है ये दिल्लगी या पिछले जन्म का रिश्ता है।
मुझे कोई सपना मत समझना जिसे तुम अगली सुबह भूल जाओ ओ दिलबर साथ निभाना दिल्लगी न करना!
मिले वो यार जो दिल की लगा कर हमें बहला रहे हैं दिल्लगी से !
मोहब्बत में उस दौर से गुज़रा है ये दिल, के फिर दिल्लगी करना है मुश्किल।
नज़रों का क्या कसूर जो दिल्लगी तुमसे हो गयी तुम हो ही इतने प्यारे कि मोहब्बत तुमसे हो गयी !
दिल्लगी करते है लोग, यहां दिल बहलाने को, कौन वादा करता है यहां ज़िन्दगी भर निभाने को।
कभी प्यार करना कभी लड़ाई करना वो ऐसे ही करते हैं दिल्लगी मुझसे!
करते रहे वो दिल्लगी न देखा कितनी दिल को लगी।
क़दमों पे डर के रख दिया सर ताकि उठ न जाएँ नाराज़ दिल-लगी में जो वो इक ज़रा हुए!
मैंने तो इज़हार मोहब्बत का किया था, ना जाने क्यूँ तुमने दिल्लगी समझ लिया।
मैं उसके प्यार में खो गया और मैं ऐसे ही खोना चाहता था और ये दिल्लगी मुझे कहाँ लेके जाएगी।
बेईमान आँखों से भी कोई भा गया, देखो न मेरा दिल दिल्लगी पे आ गया।
तुम्हारी दिल्लगी देखो हमारे दिल पर भारी है तुम तो चल दिए हंसकर यहाँ बरसात जारी है!
इश्क़ से कुछ इस तरह साथ छुटा, की दिल्लगी भी अब बेगानी लगती है।
माना दोस्त कि दिल्लगी तेरी फ़ितरत नहीं फ़िर वाबस्तगी मुझसे क्यों तेरी हसरत नहीं!
रूहों की रूहानियत में दिलों की दिल्लगी में, कहाँ इतना मज़ा है जनाब जो आँखों की गुस्ताखियों में।
दिल्लगी कर जिंदगी से ए दिल लगा के चल जिंदगी है थोड़ी हमेशा मुस्कुराते चल !
बरसो बाद पता चला मुझे मेरी कहानी में, प्यार नही सिर्फ दिल्लगी थी।
यदि आप बदले में कुछ की उम्मीद करते हैं तो इसे प्यार नहीं व्यापार और दिल्लगी कहा जाता है।
इश्क हो गर तभी हाथ बढाना, दिल्लगी तो बहुत कर के चले गये।
कुछ पाबंदी भी लाज़मी है दिल्लगी के लिए किसी से इश्क़ अगर हो तो बेपनाह न हो !
दिल्लगी करते है लोग, फिर भी दिल जलाते हैं, जब पराया ही करना होता हैं, तो अपना क्यों बनाते हैं।
हम ने जाना था लिखेगा तू कोई हर्फ़ ऐ ‘मीर’ पर तेरा नामा तो इक शौक़ का दफ़्तर निकला !
क्या हैं तुझमें ऐसा, तुझको ना भूल पांऊ, दिल्लगी की सजा हैं, बस यही सोचता हूं।
ये दिल्लगी ना जाने क्यों सताती है, हम तो इश्क करते हैं, ना जाने वो क्यूं तड़पाती है।